sugam bhugol class 8 chapter 1-सुगम भूगोल

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sugam bhugol class 8 chapter 1-सुगम भूगोल

 

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sugam geography class 8th chapter 1

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sugam geography class 8th

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

 

1. मानव महत्त्वपूर्ण संसाधन है। कैसे ?

उत्तर:-मानव संसाधन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्ञान, कौशल तथा प्रौद्योगिकी से लोग अधिक संसाधन बनाने के लिए प्रकृति का सबसे अच्छा उपयोग कर सकते हैं।

2. संसाधन को परिभाषित करें।

उत्तर:-हमारे पर्यावरण में उपलब्ध हर वह वस्तु संसाधन कहलाती है जिसका इस्तेमाल हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये कर सकते हैं

3. प्राकृतिक संसाधन के तीन उदाहरण दें।

उत्तरः-प्राकृतिक संसाधन के उदाहरण:- भूमि, मृदा, जल

4. संसाधन संरक्षण क्या है?

उत्तरः-संसाधन का विवेकपूर्ण उपयोग एवं इनके नवीकरण के लिए पर्याप्त समय देना संसाधन संरक्षण कहलाता है उदाहरण:-वर्षा के पानी को इकट्ठा कर इसका प्रयोग अन्य कामों में करके संसाधन संरक्षण किया जा सकता है।

For Extra Knowledge संसाधनों का संरक्षण एवं सतत पोषणीय विकास संसाधनों विशेषकर अनवीकरणीय संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना जरूरी है। संसाधनों के बिना कोई भी देश उन्नति नहीं कर सकता। इनके निरंतर उपलब्ध रहने पर ही समाज की निरंतर प्रगति संभव है। यदि हम मानवजाति के अस्तित्व को आगे भी बरकरार रखना चाहते तो संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग एवं इनके नवीकरण के लिए पर्याप्त समय देना संसाधन संरक्षण कहलाता है। इसके लिए सतत पोषणीय विकास को अपनाना जरूरी है

5. उपलब्धता के आधार पर संसाधनों को वर्गीकृत करें।

उत्तरः-उपलब्धता के आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते हैं

(i). सर्व व्यापक संसाधन (ii). स्थानिक संसाधन

6. संसाधन के चार मूल्य कौन-कौन है?

 

उत्तर:- (i). आर्थिक मूल्य (ii). सौंदर्यशास्त्रीय मूल्य (iii). कानूनी मूल्य(iv). नैर्तिक मूल्य

For Extra Knowledge

संसाधन मूल्यवान होते हैं। संसाधनों के मूल्य को चार तरीके से व्यक्त किया जाता है- (i) आर्थिक मूल्य (ii) सौंदर्यशास्त्रीय मूल्य (iii) कानूनी मूल्य और (iv) नैतिक मूल्य। मुद्रा से जुड़ने पर आर्थिक, सुंदरता से जुड़ने पर सौंदर्य, अधिनियम से जुड़ने पर कानूनी एवं संरक्षण से जुड़ने पर नैतिक मूल्य होता है।

7. मानवनिर्मित पाँच संसाधनों के नाम लिखें।

उत्तर:- (i). भवन(ii). कारखाना (iii). रेल मार्ग (iv). सड़क 5. औषधि

For Extra Knowledge- उत्पादन, उपभोग और आर्थिक विकास के उद्देश्य से मानव जिस संसाधन का निर्माण करता है,जैसे- भवन, औषधि, कारखाना, रेलमार्ग, सड़क्क, औजार, कृषि-यंत्र, मशीन इत्यादि ।

8. सतत पोषणीय विकास से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना सतत पोषणीय विकास कहलाता है। या ऐसे विकास जो विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाए हो तथा वर्तमान विकास की प्रक्रिया भावी पीढियों की आवश्यकता की अवहेलना न करें सतत पोषणीय विकास कहलाता है।

लघु उत्तराय प्रश्न

 

1. उत्पत्ति के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण करें।

उत्तरः-उत्पत्ति की दृष्टि से संसाधन दो प्रकार के होते हैं-

(i) जैव संसाधनः- हमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसी सभी वस्तुएं जिनमें जीवन है जैव संसाधन कहलाता है जैसे:-मनुष्य सहित सभी प्राणी

(ii) अजैव संसाधन:-हमारे पर्यावरण में उपस्थित वैसे सभी संसाधन जिनमें जीवन व्याप्त नहीं है अर्थात निर्जीव है अजैव संसाधन कहलाता है उदाहरण:- चट्टान, पर्वत, नदी, तालाब आदि

2. संभाव्य और विकसित संसाधनों में अंतर बताएँ।

संभाव्य संसाधन

(i). संभाव्य संसाधन की मात्रा ज्ञात नहीं होती है।

(ii). इस समय इनका प्रयोग नहीं किया जा रहा है परंतु भविष्य में इनका प्रयोग किया जा सकता है।

वास्तविक संसाधन

(i). वास्तविक संसाधन की मात्रा ज्ञात होती है।

(ii). इन संसाधनों का प्रयोग इस समय किया जा रहा है

3. मानवनिर्मित संसाधन को स्पष्ट करें।

उत्तर:-मानव द्वारा निर्मित संसाधनों को मानव निर्मित संसाधन कहा जाता हैं। इन संसाधनों का एक बार उपयोग करने के उपरान्त दुबारा उपयोग नही किया जा सकता हैं । कोयला, खनिज तेल : लकडी आदि इसके मुख्य उदाहरण हैं।

4. सतत पोषणीय विकास किन बातों पर जोर देता है?

उत्तरः-सतत पोषणीय विकास मुख्य रूप से इन बातों पर जोर देता है:-

1. संसाधनों की बर्बादी को रोकना

2. विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को रोकना

3. जैव विविधता को संरक्षित रखना

4. नवीकरणीय संसाधनों के पुनः चक्रण पर जोर देना

5. संसाधनों के असमान वितरण पर अपने विचार प्रस्तुत करें।

उत्तरः-पृथ्वी पर संसाधन असमान रूप से इसलिए वितरित हैं क्योंकि पृथ्वी पर प्रकृति संसाधनों का वितरण कुछ भौतिक कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि धरातल, जलवायु तथा ऊंचाई। पृथ्वी पर इन कारकों में काफी भिन्नता पाई जाती है ।

6. संसाधन और मूल्य के बीच क्या संबंध है? स्पष्ट करें।

उत्तर:-किसी भी संसाधन का मूल्य उसके रूप और गुण में परिवर्तन से बदल जाता है। जैसे, वन में पेड़ों की लकड़ी का कोई आर्थिक मूल्य नहीं होता परंतु जब पेड़ की लकड़ी को काटकर फर्नीचर में बदला जाता है तब उसका आर्थिक मूल्य बढ़ जाता है। इस प्रकार संसाधन और मूल्य में संबंध है

7. नवीकरणीय संसाधन को उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उत्तर:-वे संसाधन जिन्हें एक बार उपयोग करने के बाद पुनः उपयोग में लाया जा सकता है नवीकरणीय संसाधन कहलाता है उदाहरण:-सूर्य, पवन ऊर्जा, पानी, मिट्टी, जंगल इत्यादि

 

8. प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में भिन्नता को उदाहरण के साथ समझाएँ।

उत्तरः-प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में आज समानताएं है क्योंकि विश्व के सभी भागों में मानव एक जैसा जीवन व्यतीत नहीं कर रहा। तकनीकी ज्ञान में अंतर का होना इसका सबसे बड़ा कारण माना जाता है।

उदाहरण:-अफ्रीका के कई देश प्राकृतिक संसाधनों में बहुत धनी है परंतु उनके पास इन संसाधनों के उपयोग की तकनीक उपलब्ध नहीं है अतः वहां संसाधन का भरपूर उपयोग नहीं हो पाया है इसके विपरीत, जिन देशों के पास इनके उपयोग की तकनीक है, वे इन संसाधनों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

sugam etihash class 8:Sugam etihas class 8 Chapter 1सुगम-इतिहास-क्लास-8 (rkknowledge.com)

1. संसाधन क्या है? इसका विस्तृत वर्गीकरण प्रस्तुत करें।

उत्तरः-पर्यावरण में उपलब्ध सभी वस्तुएँ जिससे हमारी आवश्यकता पूरी हो सकती है वह संसाधन है संसाधन मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं

(i) प्राकृतिक संसाधनः- वे संसाधन जो प्राकृतिक द्वारा निःशुल्क प्रदान किया जाता है एवं वह मनुष्य के लिए उपयोगी होता है प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं जैसे:- भूमि, मृदा, जल, वायु इत्यादि

(ii) मानव संसाधन:-मानव से एक महत्वपूर्ण संसाधन है। क्योंकि वह नए संसाधनों का निर्माण अविष्कार करता है। साथ ही विद्यमान संसाधनों के नवीन उपयोगों की तलाश भी करता है।

(iii)मानव निर्मित संसाधन – मानव द्वारा निर्मित संसाधनों को मानव निर्मित संसाधन कहा जाता हैं। इन संसाधनों का एक बार उपयोग करने के उपरान्त दुबारा उपयोग नही किया जा सकता हैं। कोयला, खनिज तेल : लकडी आदि इसके मुख्य उदाहरण हैं।

2. प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण प्रस्तुत करें।

उत्तरः-प्राकृतिक संसाधन को विभिन्न आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।

(i) विकास की अवस्था के आधार पर- इस आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते हैं

(a) संभाव्य संसाधन:- संसाधन का ऐसा प्रकार जो किसी विशेष क्षेत्र में व्यवस्थित हो और जिसका उपयोग भविष्य में किया जा सकता है उसे हम संभावित संसाधन कहते हैं। जैसे:- लद्दाख क्षेत्र का यूरेनियम तथा केरल में मिलने वाला थोरियम ।

(b) विकसित संसाधन:- संसाधन का वह प्रकार जिसका सर्वेक्षणों उपरांत उपयोग हेतु मात्रा एवं गुणवत्ता का निर्धारण किया गया है उससे हम विकसित संसाधन कहते हैं जैसे:-भूगर्भीय ताप, पवन, ज्वारीय तरंगे और सौर्य ताप इत्यादि

(ii) प्रयोग के आधार पर इस आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते हैं

(a) नवीकरणीय संसाधन:- संसाधन का वह प्रकार जिसे भौतिक रासायनिक और यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा पुनः प्राप्त किया जा सकता है उस हम नवीकरणीय संसाधन कहते हैं जैसे:-सौर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, वन एवं वन्य प्राणी

(b) नवीकरणीय संसाधन:- संसाधन का वह प्रकार जिसे भौतिक रासायनिक और यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है उसे हम और नवीकरणीय संसाधन कहते हैं जैसे:- कोयला जीवाश्म इंधन

(iii) उपलब्धता के आधार पर- इस आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते हैं

(a) सर्वव्यापक संसाधनः – संसाधन का वह प्रकार जो सभी जगह पाए जाते हैं उसे सर्व व्यापक संसाधन कहते हैं जैसे- वायु, मृदा आदि|

(b) अस्थानिक संसाधन:- संसाधन का वह प्रकार जो कुछ निश्चित स्थानों या क्षेत्रों में पाए जाते हैं उसे अस्थानिक संसाधन कहते हैं जैसे-छोटानागपुर क्षेत्र का कोयला कोडरमा का अभ्रक जादूगोड़ा का यूरेनियम इत्यादि ।

(iv) उत्पत्ति के आधार पर- इस आधार पर संसाधन दो के प्रकार होते हैं

(a) जैव संसाधनः-संसाधन का वह प्रकार जिसकी उत्पत्ति जैव मंडल में हो तथा सजीवों के सभी लक्षण मौजूद हो उसे हम जैव संसाधन कहते हैं जैसे- सभी सजीव प्राणी

(b) अजैव संसाधनः-संसाधन का वह प्रकार जिसमें निर्जीव के लक्षण मौजूद हो उसे हम अजैव संसाधन कहते हैं जैसे-चट्टार्न, धातु एवं खनिज इत्यादि।

3. संसाधनों का संरक्षण क्यों जरूरी है? वर्णन करें।

उत्तरः-संसाधनो के बिना देश उन्नति नहीं कर सकता |संसाधन राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के आधार का निर्माण करते हैं। भूमि, जल, वन, वायु, खनिज के बिना कोई भी कृषि व उद्योग का विकास नहीं कर सकता। ये प्राकृतिक पर्यावरण जैसे कि वायु, जल, वन और विभिन्न जैव रूपों का निर्माण करते हैं, जो कि मानवीय जीवन एवं विकास हेतु आवश्यक है। संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से किया जाना जरूरी है, इनके निरंतर उपलब्ध रहने पर ही समाज की निरंतर परगती संभव है, यदि हम मानवजाति के अस्तित्व को आगे भी बरकरार रखना चाहते है तो संसाधन संरक्षण आवश्यक है,

4. संसाधन होते नहीं, बनाए जाते हैं। इस कथन की विवेचना करें।

उतर:-जब हम किसी के उपयोग करने की तकनीक जन लेते है तब वह वस्तु हमारे लिए संसाधन बन जाती है, जैसे- अतीत में दुर्गम स्थल माने जानेवाले पर्वत आज पर्यटक स्थलों के रूप में विकसित है। तेजी से बहते जल से ऊर्जा उत्पादन की तकनीक विकसित होने के बाद से जल की महता संसाधन के रूप में और बढ़ गई है। शहरी कूड़ा करकट से ऊर्जा उत्पादन की तकनीक विकसित होने के बाद यह संसाधन का रूप ले चुका है। इसी तरह कई अन्य उदाहरण भी है, जिनसे यह पता चलता है कि संसाधन होते नही बनाए जाते है।

5. संसाधनों के वितरण एवं उपयोग में अंतर के कारणों को स्पष्ट करें।

उतर:स्थलरूप में भिन्नता के कारण पृथ्वी पर प्रकृति संसाधनों के वितरण में भिन्नताएं मिलती है। इन भिन्नताओं में स्थलरूप, जलवायु, अक्षांश, समुद्र से दूरी एवं ऊंचाई जैसे कारक सामिल है। तथा संसाधन के वितरण की तरह इनके उपयोग में भी असमानताएं है, क्योंकि विश्व के सभी भागों में मानव एक जैसा जीवन व्यतीत नहीं कर रहा है। तकनीक ज्ञान में अंतर का होना इसका सबसे बड़ा कारण माना जाता है।

6. स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण प्रस्तुत करें।

उत्तर:-स्वामित्व के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते हैं

(क) निजी संसाधन:- संसाधन का वह प्रकार जिस पर निजी व्यक्ति या व्यक्ति समूह का अधिकार होता है, जैसे-मकान, खेत, मोबाइल, साइकिल इत्यादि ।

(ख) सार्वजनिक संसाधन:-संसाधन का वह प्रकार जिस पर समुदाय के सभी सदस्यों का अधिकार होता है, जैसे-रेल, पार्क, सड़क, खेल का मैदान, मंदिर, मस्जिद इत्यादि।

(ग) राष्ट्रीय संसाधन:-इस में देश की राजनीतिक सीमा के अंदर उपलब्ध सभी प्रकार के संसाधन शामिल होते हैं। सागर तट से 12 समुद्री मील/19.2 किलोमीटर तक के महासागरीय क्षेत्र के संसाधन राष्ट्रीय संपत्ति हैं।

(घ) अंतरराष्ट्रीय संसाधन:- सागर तट से 200 किलोमीटर की दूरी के आगे स्थित होता है। 200 किलोमीटर तक का महासागरीय क्षेत्र

 

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