13. अवध के विद्रोह को जनआंदोलन क्यों कहा जाता है?

उत्तर:-अवध दरबार पर पलनेवाले कारीगर, नौकर, कर्मचारी, नर्तकी, संगीतकार, बावरची आदि सब बेरोजगार हो गए। इसलिए 1857 के विद्रोह में सभी वर्ग के लोगों ने इसमें भाग लिया था। इसलिए इसे जनआंदोलन कहा जाता है।

14. बिहार के किन क्षेत्रों में विद्रोह हुआ था?

उत्तर:- बिहार के भागलपुर, गया, सासाराम, रोहतास आदि क्षेत्रों में विद्रोह हुआ था

sugam history class 8 chapter 6 question answer:लघु उत्तरीय प्रश्न

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. 1857 के विद्रोह के स्रोतों को लिखें।

उत्तर:-ऐसे अनेक सरकारी दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिनसे इस घटना की जानकारी मिलती है। इस घटना के प्रति अँगरेजों के दृष्टिकोण को विभिन्न ब्रिटिश पदाधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्र, डायरियों तथा संस्मरण द्वारा जाना जा सकता है। 1857-58 की घटना की खबर तथा कहानियाँ ब्रिटेन के अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में भी छपीं। ये सभी महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

2. सामाजिक सुधार 1857 के विद्रोह का कारण कैसे बना?

उत्तर:-कंपनी मानती थी कि भारतीय समाज में प्रचलित कुरीतियों तथा अंधविश्वासों को मिटाना उसका उत्तरदायित्व है। विभिन्न अधिनियमों द्वारा सतीप्रथा, बालविवाह, बालहत्या, नरबलि आदि को समाप्त किया गया। डलहौजी ने विधवा-पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 पारित कर विधवाओं की दोबारा विवाह करने की छूट दी थी। परंतु उस समय राजा राममोहन राय और कुछ प्रबुद्ध समाजसुधारकों को छोड़कर अधिकांश भारतीयों ने इन सुधारों का विरोध किया। इस प्रकार सामाजिक सुधार 1857 के विद्रोह का कारण बना

3. भारतीय सैनिकों पर क्या-क्या प्रतिबंध थे?

उत्तर:-भारतीय सैनिकों को सेना में केवल निम्न पदों पर बहाल किया जाता था। वेतन-भत्ता शर्तों में उनके साथ भेदभाव किया जाता था। उनपर कई तरह के प्रतिबंध थे- माथे पर तिलक न लगाना, दाढ़ी न रखना, पगड़ी नहीं बाँधना आदि।

4. विद्रोह कहाँ तक फैला था?

उत्तरः-सभी जगह विद्रोही फिरंगियों के भवन, संपत्ति, कार्यालय आदि पर हमला करते और हथियार लूट लेते थे। दिल्ली से यह बगावत अलीगढ़, इटावा, कानपुर, लखनऊ, बरेली, बिहार, बंगाल में फैल गई। इसका प्रमुख केंद्र दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार था। इन स्थानों में विद्रोह की लपटें इस तेजी से फैली की अँगरेज घबड़ा गए और अपनी जान बचाना उनका प्रमुख उद्देश्य बन गया।

5. नाना साहब और रानी लक्ष्मीबाई कंपनी सरकार के विरोधी क्यों बने ?

उत्तर:- नाना साहब पेंशन बंद किए जाने पर अँगरेजी सरकार के विरोधी हो गए। उन्होंने कानपुर से अँगरेजों को निकाल दिया और अपने को पेशवा और कानपुर का मुगल गवर्नर घोषित किया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को कंपनी द्वारा शासक न मानने पर वे कंपनी सरकार के विरोधी बने।

6. कंपनी ने विद्रोह को किस प्रकार दबाया?

उत्तर:-कंपनी ने विद्रोह को दबाने के लिए इंगलैंड से सेना बुलाई। विद्रोहियों के विरुद्ध दमनकारी कानून पारित किया और सर्वप्रथम दिल्ली पर सितंबर 1857 में नियंत्रण कर लिया। हजारों विद्रोहियों को फाँसी दी गई। विद्रोहियों का जोश और उत्साह ठंडा पड़ गया। दूसरी तरफ अँगरेजों ने उन्हें माफ करने और उनकी भूमि वापस करने का आश्वासन दिया। इस कारण कइयों ने आत्मसमर्पण कर दिया। परंतु, अँगरेजों ने अपना वादा पूरा नहीं किया और उनपर मुकदमा चलाकर फाँसी की सजा दी। इस प्रकार कंपनी ने विद्रोह को दबाया

7. 1857 के पश्चात भारतीय प्रशासन में क्या बदलाव हुआ?

उत्तर:-1857 के पश्चात भारतीय प्रशासन में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए गए। भारत से इंगलिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त कर दिया गया और ब्रिटिश मुकुट को हस्तांतरित कर दिया गया। 1858 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा महारानी विक्टोरिया को भारत की साम्राज्ञी घोषित किया गया। गवर्नर-जनरल को वायसराय बनाया गया। कैनिंग भारत का पहला वायसराय था। प्रशासन संबंधी सारी सूचना वायसराय को भारत सचिव को देनी होती थी। इस प्रकार, भारतीय प्रशासन सीधा इंगलैंड से होने लगा।

8. 1857 के पश्चात भारतीय सेना में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर:-1857 के पश्चात भारतीय सेना में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया। यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई और भारतीय सैनिकों की संख्या घटा दी गई। उनका अनुपात अब 2:5 का हो गया। निर्णय लिया गया कि गोरखा, सिख और पठान सैनिकों की भरती ज्यादा संख्या में की जाए। भारतीय सैनिकों का उपयोग अब केवल विदेशी युद्ध में होने लगा। उन्हें सेना तथा तोपखाना के महत्त्वपूर्ण पदों से वंचित कर दिया गया।

9. विद्रोहियों में किन बातों की कमी थी जिस कारण वे विफल हुए?

उत्तर:-यह विद्रोह स्थानीय, सीमित तथा असंगठित था। बिना किसी पूर्व योजना के शुरू होने के कारण यह विद्रोह अखिल भारतीय स्वरूप धारण नहीं कर सका और भारत के कुछ ही वर्गों तक सीमित रहा। विद्रोहियों के सामने ब्रिटिश सत्ता के विरोध के अतिरिक्त कोई अन्य समान उद्देश्य नहीं था। भारतीय विद्रोही परंपरागत हथियारों, तलवार और भालों से लड़े, वहीं दूसरी ओर अंग्रेज सेना आधुनिकतम हथियारों से लैस थी, जिस कारण वे विफल हुए

10. विद्रोह का स्वरूप क्या था?

उत्तर:-चूँकि यह विद्रोह सैनिकों ने आरंभ किया था। इसलिए अधिकांश इतिहासकारों ने इसे सिपाही विद्रोह माना है। इसमें किसानों ने भी सक्रिय भाग लिया था इसलिए इसे कृषक और जनआंदोलन भी कहा गया है। बहादुरशाह जफर को इसका नेता बनाया गया था। इस कारण अनेक विद्वान इसे एक मुस्लिम षड्यंत्र मानते हैं। कई विचारकों के अनुसार, इसे सामंती विद्राह भी कहा जा सकता है। अनेक भारतीय इतिहासकारों ने 1857 के विद्रोह को भारत का प्रथम राष्ट्रीय आंदोलन कहा है, क्योंकि विद्रोही चाहे जिस किसी वर्ग के थे, उनमें असंतोष था और वे भारत से अँगरेजी शासन को समाप्त करना चाहते थे। वास्तव में यह विभिन्न वर्गों का विद्रोह था।

sugam history class 8 chapter 6 question answer:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. 1857 के विद्रोह के कारणों को लिखें।

उत्तर:-1857 के विद्रोह के निम्नलिखित कारण हैं-
(i) सहायक संधि प्रणाली’ द्वारा भारतीय राज्यों पर नियंत्रण तथा लॉर्ड डलहौजी की गोद – निषेध नीति से अनेक नरेशों में असंतोष उत्पन्न होना
(ii) भारतीयों को प्रशासन में उच्च पदों से वंचित रखा जाना, भारतीयों के साथ निरंतर असमान बर्ताव करना
(iii) स्थायी बंदोबस्त, रैयतवारी एवं महालवारी भूमि व्यवस्थाओं और मुक्त व्यापार की नीति द्वारा कंपनी का भारत की कृषि, उद्योग तथा व्यापार सभी आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित होना
(iv) इसाई मिशनरियों का भारत में प्रवेश, सती प्रथा का अंत, विधवा पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता, भारतीय सैनिकों को समुद्री यात्रा के लिए विवश करना
(v) भारतीय सैनिकों के साथ असमान व्यवहार, उच्च पदों पर नियुक्त करने से वंचित, यूरोपीय सैनिकों की तुलना में कम वेतन, डाकघर अधिनियम पारित निःशुल्क डाक सेवा की समाप्ति आदि
(vi)चर्बी वाले कारतूस का मुद्दा’ 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण बना।

2. 1857 के विद्रोह के प्रमुख नेताओं की भूमिका की विवेचना करें।

उत्तर:-विद्रोही सैनिकों ने मुगल बादशाह को अपना नेता बनाया था। उन्होंने विभिन्न भारतीय नरेश को साथ देने के लिए पत्र लिखा। उनके आदेश पर कई नरेश इसमें शामिल हुए। परंतु, वे बेगम सहित पकड़े गए। उनके उत्तराधिकारियों की हत्या कर दी गई। 1862 में उनकी मृत्यु हो गई। कानपुर में नाना साहब ने विद्राह का नेतृत्व किया। वे पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। पेंशन बंद किए जाने पर वे अँगरेजी सरकार के विरोधी हो गए थे। उन्होंने कानपुर से अँगरेजों को निकाल दिया और अपने को पेशवा और कानपुर का मुगल गवर्नर घोषित किया। उन्हें ताँत्या टोपे ने सहायता दी थी। ताँत्या टोपे दक्षिण भारत में पकड़े गए। उन्हें फाँसी पर लटकाया गया। आरा के कुँवर सिंह ने जनता के असंतोष को देखते हुए इसमें भाग लिया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को कंपनी द्वारा शासक न मानने पर उन्होंने कंपनी के साथ युद्ध किया। अवध में नवाब वाजिदअली शाह की बेगम हजरतमहल ने अपने संरक्षण में अपने पुत्र बिरजिस कद्र को नया नवाब घोषित कर अँगरेजों का विरोध किया। नाना साहब के समान बिरजिस कद्र ने भी बहादुरशाह को अपना बादशाह स्वीकार किया। अवध में शाहमल और मौलवी अहमदुल्ला ने विद्रोह का नेतृत्व किया। बरेली में सिपाही बख्त खाँ ने एक बड़ी सेना के साथ दिल्ली पर आक्रमण किया। छोटानागपुर में सिंहभूम निवासी गोनू ने स्थानीय लोगों का नेतृत्व किया और विद्रोह में भाग लिया।

3. 1857 के विद्रोह के क्या परिणाम हुए?

उत्तर:-1857 के विद्रोह के परिणाम निम्नलिखित हुए-
(i)1857 की विद्रोह के बाद 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने एक अधिनियम पारित करके, भारत मे कंपनी शासन का अंत कर दिया गया तथा भारत का शासन ब्रिटिश क्राउन के अधीन कर दिया गया।
(ii)भारत के गवर्नर जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा।
(iii)बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स और बोर्ड ऑफ़ कण्ट्रोल खत्म करके भारत सचिव के साथ 15 सदस्यीय भारतीय परिषद की स्थापना की गई।
(iv)1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा सेना के पुनर्गठन के लिए स्थापति पील आयोग की रिपोर्ट पर सेना में भारतीय सैनिकों की तुलना में यूरोपियो का अनुपात बढ़ा दिया गया।
(v) भारतीय रजवाड़ों के प्रति विजय और विलय की नीति का परित्याग कर सरकार ने राजाओं को गोद लेने की अनुमति प्रदान की

4. 1857 का विद्रोह क्यों असफल हुआ?

उतार:-1857 का विद्रोह असफल हुआ, क्योंकि विभिन्न नेताओं में योग्यता का अभाव था। वृद्ध होने के कारण बहादुरशाह में क्षमता की कमी थी। अन्य नेताओं के साथ उनका तालमेल नहीं था। विद्रोहियों में सही योजना और संगठन का अभाव था। अँगरेजों की अपेक्षा उनके पास पर्याप्त सेना, धन, गोला-बारूद, हथियार,आवागमन के साधन नहीं थे। नेताओं के उद्देश्य भिन्न थे और अपनी इच्छानुसार उन्होंने विद्रोह को आरंभ और विकसित किया था। विद्रोह केवल उत्तर और मध्य भारत तक सीमित था । इसमें प्रमुखतः सैनिक और किसानों ने भाग लिया था। अधिकांश सामंतों, राजाओं तथा नवाबों ने इनका साथ नहीं दिया। जनसाधारण का समर्थन भी विद्रोहियों को नहीं मिला। विफलता का प्रमुख कारण यह माना जाता है यह राष्ट्रीय न होकर मुख्यतः क्षेत्रीय था ।

5. अवध में विद्रोह एक जनआंदोलन कैसे था?

उत्तर:-बक्सर के युद्ध (1764) में पराजित होने पर अवध ने कंपनी के साथ हमेशा मित्रता बनाकर रखी थी। समय-समय पर कंपनी अवध से धन की माँग करती थी। इस माँग को अवध ने पूरी की थी जबकि यह उसपर आर्थिक बोझ था। उसपर सहायक संधि की शर्तें थोपी गई थीं और डलहौजी ने 1856 में कुशासन का आरोप लगाकर उसे कंपनी राज्य में मिला लिया था इस घटना से अवधवासियों में आक्रोश के साथ असंतोष उत्पन्न हुआ। अवध दरबार पर पलनेवाले कारीगर, नौकर, कर्मचारी, नर्तकी, संगीतकार, बावरची आदि सब बेरोजगार हो गए। इस कारण 1857 का विद्रोह अन्य स्थानों की अपेक्षा यहाँ अधिक तीव्र था। सभी वर्ग के लोगों ने इसमें भाग लिया था। इस प्रकार अवध में विद्रोह एक जनआंदोलन था

6. विद्रोह में कुँवर सिंह, पीर अली और वारिस अली के योगदान का वर्णन करें।

उत्तर:-बिहार के कुँवर सिंह ने विद्रोह का नेतृत्व किया ये जगदीशपुर (आरा) के जमींदार थे। शासन की बागडोर संभालने पर उन्होंने कई जनकल्याणकारी कार्य किए। जमींदारी छिन जाने पर और लोगों पर कंपनी सरकार द्वारा किए गए अत्याचार के विरुद्ध उन्होंने विद्रोह का झंडा उठाया था। सैनिकों की सहायता से उन्होंने आरा में कुछ दिनों के लिए अपना स्वतंत्र शासन स्थापित किया था। अँगरेजों को कई बार पराजित भी किया था। परंतु अंत में अँगरेजों ने जगदीशपुर पर कब्जा कर लिया। गंगा नदी पार करते समय उन्हें गोली लगी थी और इसके घाव के कारण अप्रैल 1858 में उनकी मृत्यु हो गई। पटना के वारिस अली और पीर अली का नाम प्रमुख तौर से इस विद्रोह में लिया जाता है। वारिस अली पटना कमिश्नरी में जमादार था। गया के अली करीम को पत्र लिखते समय वह पकड़ा गया और उसे फाँसी की सजा दी गई। परतु, पीर अली ने आंदोलन को जारी रखा। बड़ी संख्या में लोगों का नेतृत्व करते हुए पीर अली ने भारतीय झंडा के साथ गिरजाघर पर धावा बोल दिया। पकड़े जाने पर सभी को फाँसी दी गई। इस खबर से दानापुर के सैनिकों ने बगावत कर दी।
इसे भी देखें – sugam history class 8 chapter 8