sugam bhugol class 8 chapter 5
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sugam bhugol class 8 chapter 5:अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. कृषि को परिभाषित करें।
उत्तर:-भूमि पर की जाने वाली समस्त क्रियाएं जो फसलोंत्पादन एवं पशुपालन व्यवसाय के लिए आवश्यक है, उन्हें करने की कला एवं विज्ञान को कृषि कहा जाता है।
2. विश्व में कितने प्रतिशत लोग कृषि से जुड़े हैं?
उत्तरः-विश्व में 50% लोग कृषि से जुड़े हैं
3. कर्तन एवं दहन कृषि क्या है?
उत्तर:-इस कृषि में जंगल के एक हिस्से को जलाकर कृषि भूमि तैयार कर खेती की जाती है फिर उस भूमि को छोड़कर जंगल के दूसरे हिस्से को साफ कर पुनः खेती की जाती है।
4. भारतीय कृषि की तीन विशेषताओं को लिखें।
उत्तर:- (i) खेतों का कार का छोटा होना
(ii) निर्वाह कृषि अधिक होना
(iii) मशीनों का कम उपयोग
5.मिश्रित कृषि क्या है?
उत्तरः-व्यापारिक, पशुपालन एवं फसलों की खेती मिश्रित कृषि है
6. मखाना उत्पादन कहाँ, किया जाता है?
उत्तरः-उत्तर बिहार के जलाशयों में मखाना उत्पादन किया जाता है
7. जायद फसलें क्या हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:-वैसी फसल जिसे ग्रीष्म ऋतु में में उगाया उगाया जाता है उसे जायद फसल कहते हैं उदाहरण:-सब्जी, ककड़ी, खीरा, मकई, मूंग, तरबूज, खरबूज इत्यादि
8. रेशेदार फसल किसे कहा जाता है? उपयुक्त उदाहरण दें।
उत्तर:-वैसी फसल जिनसे कागज, वस्त्र, रस्सी इत्यादि बनाए जाते हैं उसे रेशेदार फसल कहते हैं। उदाहरण:-जूट, कपास, रेशम
9. धान की खेती के लिए कितनी वर्षा आवश्यक है?
उत्तर:- धान की खेती के लिए 100 से 200 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है।
10. तीन मोटे अनाजों के नाम लिखें।
उत्तर:- ज्वार, बाजरा, जौ
sugam bhugol class 8 chapter 5:लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गेहूँ के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें।
उत्तर:-गेहूं उत्पादन के लिए बुआई के समय 10°C सेल्सियस से 15°C तथा पकते समय 21°C से 26°C तापमान एवं 50 से 100 सेंटीमीटर वर्षा, समतल भूमि और उपजाऊ दोमट मिट्टी आवश्यक है।
2. कपास की खेती के लिए क्या सुविधाएँ चाहिए? लिखें।
उत्तर:- कपास या उजला सोना एक प्रमुख रेशेदार नकदी फसल है। इसका मूल स्थान भारत माना जाता है। यह सूती वस्त्र उद्योग का कच्चा माल है। इसकी खेती के लिए 20°C से 30°C तापमान, 75 से 100 सेंटीमीटर वर्षा, 210 दिन पालारहित तथा काली एवं जलोढ मृदा उपयुक्त है।
3. गन्ना की खेती का उल्लेख करें।
उत्तर:- गन्ना एक उष्ण एवं उपोष्ण क्षेत्रीय नगदी फसल है इसकी खेती के लिए 21°C से 27°C तापमान 75 से 100 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा गहरि दोमट या हल्की चिकनी मृदा उपयुक्त है।
4. श्री विधि तकनीक क्या है? स्पष्ट करें।
उत्तर:-श्री विधि तकनीक का इस्तेमाल धान के उत्तम बीजों को छाटने के लिए किया जाता है। इसके लिए बाल्टी या टब में नमक डालकर पानी के घनत्व को बढ़ाया जाता है। जिसके कारण अच्छे बीज तली में बैठ जाते हैं। इस पौधों को समय पर अलग-अलग कतार में लगा दिया जाता है। इसके पौधे को पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होता है
5. चाय की खेती के लिए जरूरी भौगोलिक सुविधाओं का उल्लेख करें।
उत्तर:-चाय एक महत्वपूर्ण पेय फसल है। इसकी खेती के लिए 24°C से 30°C तापमान ग्रीष्म ऋतु में 150 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा ढालू भूमि गहरी दोमट मृदा की आवश्यकता होती है।
6. खरीफ एवं रबी की फसलों में उदाहरणसहित अंतर करें।
उत्तर:-रबी की फसल अक्टूबर से दिसंबर तक सर्दियों में बोई जाती है और गर्मियों में अप्रैल से जून तक काटी जाती है। जैसे: गेहूं, जौ, मटर, चना और सरसों जबकि खरीफ फसलें देश के विभिन्न हिस्सों में मानसून की शुरुआत के साथ उगाई जाती हैं और इन्हें सितंबर-अक्टूबर में काटा जाता है। जैसे: धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली और सोयाबीन।
7. निर्वाह कृषि को उदाहरण के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर:-इस प्रकार की कृषि परिवार के सदस्यों की सहायता से तथा निम्न कोटि की तकनीक से की जाती है, जो कृषक परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की जाती है। जैसे में गहन निर्वाह कृषि, आदिम निर्वाह कृषि, स्थानांतरी कृषि एवं चलवासी पशुचारण शामिल है
8. व्यापारिक एवं बागवानी फसलों में अंतर बताएँ।
उत्तर:-रब्बर, मखाना, मिर्च, तंबाकू सभी व्यापारिक फसलें हैं यह अनेक उद्योगों के लिए कच्चा माल पैदा करती है। जबकि आम लीची केला फूल इत्यादि बागवानी फसलें हैं। इस कृषि को ट्रक फार्मिंग भी कहा जाता है।
9. रोपण कृषि एवं स्थानांतरी कृषि में क्या अंतर है?
उत्तर:- रोपण कृषि एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जिसमें गैर-खाद पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। जैसे चाय, कहवा, गन्ना, लीची, रबड़ इत्यादि जबकी स्थानांतरि कृषि परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए की जाती है इसके अंतर्गत आलू, मक्का, जौ, बाजरा, शकरकंद, कसावा इत्यादि उगाया जाता है।
10. कृषि को प्रभावित करनेवाले कारकों का उल्लेख करें।
उत्तरः-कृषि को प्रभावित करने वाले कारक में शामिल है-
जलवायु, स्थलाकृति, मृदा, मानवीय कारक
sugam bhugol class 8 chapter 5:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. धान अथवा जूट की खेती के उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन करें।
उत्तर:-चावल ऊष्ण एवं उपोष्ण प्रदेशों का मुख्य आहार/भोजन है। समतल मैदानी क्षेत्र इसकी खेती के लिए उपयुक्त है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी खेती सीढ़ीनुमा खेत बनाकर की जाती है। चावल उत्पादक देशों में चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादे, वियतनाम, श्रीलंका, जापान, मिस्र महत्त्वपूर्ण हैं। भारत के प्रमुख उत्पादक राज्यों में पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, कर्नाटक, तमिलड्डु, हरियाणा, केरल, बिहार एवं असम शामिल हैं। अथवा पटसन एक रेशेदार फसल है जिससे थैला, दरी, वस्त्र, बोरा इत्यादि बनाए जाते हैं। जूट/पटसन की खेती के लिए 21°C से 30 °C तापमान, 150 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा एवं जलोढ मृदा उपयुक्त है। जूट को सुनहरा रेशा भी कहा जाता है। इस ऊष्णकटिबंधीय फसल की खेती मुख्यतः भारत एवं बांग्लादेश में की जाती है। भारत में इसकी खेती पश्चिम बंगाल, बिहार (किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा एवं भागलपुर जिलों में) तथा असम में की जाती है।
2. भारत में गेहूँ के उत्पादन एवं वितरण का विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:-गेहूँ एक मुख्य खाद्य फसल है। उत्पादन 1960-61 में 109.97 लाख टन से दोगुना से अधिक हो गया था। 1970-71 में 238.32 लाख टन । इसी अवधि के दौरान गेहूं के अंतर्गत क्षेत्र में 41 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई थी और उपज में 53.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बीजों की नई किस्मों के विकास ने गेहूँ के उत्पादन में वास्तविक क्रांति ला दी है। गेहूं का उत्पादन मुख्य रूप से देश के उत्तर-पश्चिमी भागों तक ही सीमित है। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा तीन प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों में गेहूँ क्षेत्र का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा है और भारत में कुल गेहूँ उत्पादन का लगभग तीन-चौथाई उत्पादन करते हैं। वास्तव में, पंजाब, हरियाणा और यूपी के निकटवर्ती पश्चिमी भागों ने ‘भारत का अन्न भंडार’ कहलाने का गौरव अर्जित किया है। अन्य प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार हैं।
3. गन्ना की खेती के उत्पादन एवं वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:-गन्ना एक ऊष्ण एवं उपोष्ण क्षेत्रीय नकदी फसल है। यह लगभग 31 लाख हैक्टेयर भूमि पर उगाया जाता है। गन्ने का कुल उत्पादन 156.45 मिलियन (15 करोड़ 64 लाख 50 हजार) टन है। उत्तर प्रदेश गन्ना के अन्तर्गत सबसे बड़ा क्षेत्रफल रखता है और संपूर्ण भारत में इस फसल के अंतर्गत क्षेत्रफल के लगभग 52 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है और कुल वार्षिक उत्पादन का 40 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है। गन्ने की उत्पादकता तमिलनाडु में सबसे अधिक है और उसके बाद महारास्ट्र एवं कर्नाटक में है।
4.चाय के उत्पादन एवं वितरण का विवेचन करें।
उत्तर:-चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय फसल है। चीन, भारत, श्रीलंका एवं केन्या सहित चाय की खेती 25 देशों में होती है। चाय के 1,500 प्रकार मौजूद हैं। भारत में लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि पर चाय का उत्पादन होता है। देश में 13,256 चाय के उद्यान हैं। देश में चाय के उत्पादन का 75% भाग पश्चिम बंगाल एवं असम राज्यों से; 5% उत्तर प्रदेश, बिहार एवं हिमाचल प्रदेश से प्राप्त होता है। शेष 20% चाय दक्षिणी राज्यों-तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में उगाई जाती है।
5. उत्तर-पश्चिम भारत के खाद्यान्न प्रदेश का एक संतुलित एवं संदर्भ अध्ययन प्रस्तुत करें।
उत्तरः-कृषि की दृष्टि से देश का उत्तर-पश्चिमी भाग विशेष महत्त्वपूर्ण है। इस खाद्यान्न प्रदेश के अंतर्गत पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान का क्षेत्र शामिल है। यहाँ पंजाब और हरियाणा में खेती के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ मौजूद हैं। राजस्थान में इंदिरा गाँधी नहर से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने के बाद खाद्यात्र की कृषि में क्रांति आ गई है। इस क्षेत्र में गेहूँ, चावल, कपास, तेलहन और दलहन की निश्चित खेती की जाती है। सिंचाई सुविधाओं के कारण यहाँ वर्ष में चार फसलों का उत्पादन होता है। इसलिए इस खाद्यान्न प्रदेश को चार फसल संयोजन प्रदेश भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में पंजाब अग्रणी कृषि उत्पादक राज्य है। मक्का, दलहन, तेलहन, कपास इत्यादि फसलों के साथ-साथ व्यापक स्तर पर डेयरी फार्मिंग भी यहाँ की जाती है
6. बिहार की कृषि की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:-बिहार एक कृषिप्रधान राज्य है। कृषि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यहाँ शुद्ध बोया गया क्षेत्र 60% से अधिक है। सबसे अधिक शुद्ध बोया गया क्षेत्र बक्सर जिला में 80% से अधिक है। राज्य में धान, गेहूँ, मक्का, मोटे अनाज, तेलहन, दलहन, गन्ना, जूट, तंबाकू, केला, आलू, प्याज, मिर्च तथा खेसारी की खेती प्रमुखता से की जाती है। किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, दरभंगा एवं भागलपुर जिलों में जूट की खेती की जाती है। राज्य में श्री विधि तकनीक से धान की खेती की जाने लगी है। इस तकनीक का इस्तेमाल धान के उत्तम बीजों को छाँटने के लिए किया जाता है। उत्तर बिहार के जलाशयों में मखाना की खेती की जाती है। बिहार का ताल क्षेत्र दलहन की खेती के लिए प्रसिद्ध है। मॉनसून पर निर्भरता, परंपरागत ढंग से कृषि और निर्वाह कृषि बिहार की कृषि की प्रमुख विशेषताएँ हैं। इसके अतिरिक्त राज्य का सांस्कृतिक जीवन भी कृषि से जुड़ा है। खेती करते समय लोकगीत गाना, कृषि यंत्रों का पूजन और फसलों की बुआई और कटाई से संबंधित पर्व-त्योहारों को मनाना यह दर्शाता है।
7. उत्तर-पूर्वी भारत में चाय उत्पादन का एक संदर्भ अध्ययन प्रस्तुत करें
उत्तर:-चाय भारत का प्रमुख पेय है। इसकी फसल झाड़ियों के रूप में होती है। इनकी पत्तियाँ वर्ष में तीन-चार बार चुनी जाती हैं, पहली बार अप्रैल से जून तक, दूसरी बार जुलाई से अगस्त तक और तीसरी बार सितंबर से अक्टूबर तक । चाय के उत्पादन के लिए आवश्यक सभी भौगोलिक दशाएँ उत्तर-पूर्वी राज्यों में उपलब्ध हैं। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण ढालू भूमि पर इसकी खेती की जाती है ताकि इसकी जड़ों में पानी जमा नहीं हो सके। उच्च तापमान और ग्रीष्मकालीन पर्याप्त वर्षा के कारण यहाँ का शीतल जलवायु भी चाय की खेती के लिए उपयुक्त है। यहाँ की मृदा में फॉस्फेट, पोटैश और लोहांश भी मिलता है। सस्ते जनजातीय श्रमिक यहाँ उपलब्ध हैं। उपयुक्त भौगोलिक सुविधाओं के कारण असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा में चाय की खेती की जाती है। सिक्किम, मणिपुर और मिजोरम में भी इसकी खेती की जाने लगी हैं। असम में सबसे अधिक चाय की खेती होती है। इस राज्य में करीब 6,80,400 किलोग्राम चाय का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। देश में चाय के कुल 13,256 बागान हैं।इनमें से 770 बागान असम में हैं। त्रिपुरा में चाय के 57 बागान हैं।