Sugam history class 8 chapter 7 question answer in hindi
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Sugam history class 8 chapter 7 question answer in hindi :अति लघु उत्तरीय प्रश्न
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किसकी रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि 19वीं सदी में भारत में शिक्षा का पतन हो गया था ?
उत्तर:- विलियम एडम की रिपोर्ट से
2. किन्हीं दो अँगरेज अधिकारियों के नाम लिखें जो भारतीय ज्ञान को विकसित करना चाहते थे।
उत्तर:-एच०टी० प्रिंसेप, विलियम जोन्स
3. किन्हीं दो अँगरेज अधिकारियों के नाम लिखें जो पाश्चात्य शिक्षा का विकास करना चाहते थे।
उत्तर:- जेम्स मिल, मैकॉले
4. 1813 के चार्टर ऐक्ट ने शिक्षा संबंधी क्या प्रस्ताव दिया था ?
उत्तर:-इस अधिनियम में साहित्य के साथ वैज्ञानिक शिक्षा के लिए एक लाख रुपये की धनराशि सालाना खर्च करने की व्यवस्था की गई।
5. एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:-इसका उद्देश्य प्राच्य-अध्ययन का बढ़ावा देना था।
6. प्राच्यविद् भारतीय शिक्षा के पक्षधर क्यों थे?
उत्तरः-क्योंकि उनका मानना था कि भारतीयों में वही ज्ञान तथा शिक्षा को प्रोत्साहित करना चाहिए जिसे वे जानते हैं, समझते हैं और जिससे परिचित हैं।
7. ऐंग्लिसिस्टों के अनुसार, भारतीय शिक्षा में क्या त्रुटियाँ थीं?
उत्तर:-इनके अनुसार भारतीय शिक्षा अव्यावहारिक और अवैज्ञानिक है। इसका अध्ययन केवल धार्मिक ज्ञान बढ़ाएगा।
8. दो भारतीयों के नाम लिखें जो पाश्चात्य शिक्षा के पक्ष में थे।
उत्तर:-राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती
9. मैकॉले ने शिक्षा संबंधी क्या सुझाव दिया था ?
उत्तरः-उसने कहा था कि यूरोपीय पुस्तकालय का एक खाना ही समस्त भारतीय और अरबी साहित्य के बराबर है।
10. पश्चिमी शिक्षा केवल उच्चवर्ग को दी जाए। ऐसा मैकॉले क्यों मानता था ?
उत्तरः- उसका विचार था कि अँगरेजी माध्यम से शिक्षित भारतीय जनसमूह में वर्नाक्यूलर (भारतीय भाषा) के द्वारा पश्चिमी ज्ञान, साहित्य एवं विज्ञान को पहुँचाएँगे और इस प्रकार सभी भारतीय वैज्ञानिक शिक्षा से अवगत हो सकेंगे।
11. सर चार्ल्स वुड कौन था ?
उत्तरः-सर चार्ल्स वुड बोर्ड ऑफ कंट्रोल का अध्यक्ष था ।
12. भारतीयों के प्रति वुड के क्या विचार थे ?
उत्तर:-वुड के अनुसार, सही शिक्षा के अभाव के कारण भारतीयों में काम के प्रति ईमानदारी और समर्पण की भावना नहीं होती है
13 . हंटर आयोग कब और क्यों गठित किया गया ?
उत्तर:- हंटर आयोग 1882 में वुड नीतिपत्र के कार्यों की समीक्षा के लिए गठित किया गया था।
14. महात्मा गाँधी के पश्चिमी शिक्षा के विरोधी होने का कोई एक कारण लिखें।
उत्तर:-महात्मा गांधी के अनुसार, औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मन में हीनता की भावना पैदा की है इसलिए महात्मा गाँधी के पश्चिमी शिक्षा के विरोधी थे
15. रवींद्रनाथ टैगोर यूरोपीय शिक्षा को क्यों नहीं पसंद करते थे?
उत्तर:-रवींद्रनाथ टैगोर के अनुसार, पाश्चात्य शिक्षा के कारण व्यक्ति अपने को बंधन में बँधा हुआ महसूस करता है। बंद कमरे और अधिक अनुशासन में पढ़ना उन्हें स्वयं पसंद नहीं था।
Sugam history class 8 chapter 7 question answer in hindi :लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 1813 के चार्टर ऐक्ट के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:-इसका उद्देश्य था कि भारतीय अँगरेजी भाषा में पढ़ना, लिखना तथा बोलना सीखें। इससे कंपनी को अपने प्रशासनिक कार्यों विशेषकर न्याय करने में आसानी होती। साथ ही, भारतीय नरेशों के साथ पत्राचार करने और आम भारतीयों के साथ संपर्क बढ़ाने में कंपनी को सहायता मिलती।
2. विलियम जोन्स के भारत के प्रति क्या विचार थे ?
उत्तरः उनका विचार था कि भारत के प्राचीन गौरव और वैभव को पुनर्जीवित कर सरकार भारत को अच्छी तरह समझ सकती है। उनका यह भी विश्वास था कि अँगरेजी सरकार भारतीयों पर तभी शासन कर सकती है जब वह इन्हें समझ पाएगी। और, यह उनकी संस्कृति को जानकर संभव हो सकता है।
3. मैकॉले ने अपने मिनट्स में क्या कहा था?
उत्तर:-मैकॉले ने अपने मिनट्स में कहा था कि यूरोपीय पुस्तकालय का एक खाना ही समस्त भारतीय और अरबी साहित्य के बराबर है। उसके अनुसार, अँगरेजी शिक्षा से भारतीयों को यूरोप के सर्वोत्तम साहित्य को पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा, पश्चिमी विज्ञान और दर्शन के अध्ययन से वे आधुनिक बनेंगे।
4. वुड के अनुसार, पश्चिमी शिक्षा भारतीयों के लिए हितकर थी। कैसे ?
उत्तरः-वुड के अनुसार, सही शिक्षा के अभाव के कारण भारतीयों में काम के प्रति ईमानदारी और समर्पण की भावना नहीं होती है। यूरोपीय शिक्षा इस कमी को दूर कर सकती है और इससे कंपनी को भरोसेमंद और ईमानदार भारतीय कर्मचारियों का सहयोग मिल पाएग इसप्रकार पश्चिमी शिक्षा भारतीयों के लिए हितकर थी।
5. वुड नीतिपत्र के क्या परिणाम हुए?
उत्तरः-वुड नीतिपत्र के निम्न परिणाम हुए:-
i) शिक्षा विभाग की स्थापना से सरकार का शिक्षा पर नियंत्रण हो गया।
ii) 1857 में तीनों प्रेसीडेंसियों में विश्वविद्यालय खोले गए।
iii) लड़कियों के लिए आधुनिक विद्यालय खोले गए।
iv) भारत में प्राच्यवादी शिक्षा का स्थान यूरोपीय शिक्षा ने ले लिया।
6. हंटर आयोग की सिफारिशें क्या थीं ?
उत्तर:- हंटर आयोग का सिफारिश यह था कि सभी प्रांतों के दौरा के पश्चात आयोग प्राथमिक शिक्षा के लिए जिला तथा म्यूनिसिपल बोर्ड की स्थापना, और माध्यमिक शिक्षा को दो भाग में बांटे एक नियमित पाठ्यक्रम तथा दूसरा व्यावसायिक। तथा सर्वेक्षण के दौरान स्त्री-शिक्षा के अभाव को देखते हुए उसको प्रोत्साहित करे।
7. यूरोपीय शिक्षा के प्रसार में विभिन्न भारतीयों के योगदान को लिखें।
उत्तरः कुछ भारतीयों ने यूरोपीय शिक्षा के महत्त्व को समझा था। इनमें राजा राममोहन राय का नाम उल्लेखनीय है। वे विचारों की कट्टरता के विरोधी थे। स्वामी दयानंद सरस्वती वेद के ज्ञान में पूर्णतः विश्वास रखते हुए भी उन्होंने तर्कवाद, बुद्धिवाद और पश्चिमी ज्ञान को शिक्षा का आधार माना था। स्त्री-शिक्षा के विकास में ईश्वरचंद्र विद्यासागर का नाम उल्लेखनीय है। इनके द्वारा बंगाल में लगभग पैंतीस विद्यालय लड़कियों के लिए खोले गए थे।
8. गाँधीजी ने हस्तकला सीखने पर क्यों जोर दिया था ?
उत्तर:- गांधी जी के अनुसार साक्षरता अपने आप में शिक्षा नहीं है। उन्होंने महसूस किया कि बच्चे की शिक्षा की शुरुआत उसे एक उपयोगी हस्तकला सिखाकर और उसे प्रशिक्षण शुरू करने के क्षण से ही उत्पादन करने में सक्षम बनाकर करना महत्वपूर्ण है। उनका विचार था कि प्रत्येक हस्तकला को केवल यांत्रिक रूप से नहीं बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी सिखाया जाना चाहिए ताकि उस कला की बारीकियों को समझा जा सकता है। इस प्रकार, वह जीवन के सभी पहलुओं को समझने में सक्षम होता है।
Sugam history class 8 chapter 7 question answer in hindi :दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. शिक्षा के बारे में प्राच्यविदों के क्या विचार थे ?
उत्तरः-प्राच्यविदों का विचार था कि भारत के प्राचीन गौरव और वैभव को पुनर्जीवित कर सरकार भारत को अच्छी तरह समझ सकती है। उनका यह भी विश्वास था कि अँगरेजी सरकार भारतीयों पर तभी शासन कर सकती है जब वह इन्हें समझ पाएगी। और, यह उनकी संस्कृति को जानकर संभव हो सकता है। उनका यह भी मानना था कि इस प्रकार भारतीयों को भी अपने गौरवमय अतीत और वैभव को समझने में मदद मिलेगी। इन कारणों से उन्होंने संस्कृत व फारसी शिक्षण संस्थाओं को स्थापित करने की सिफारिश की थी। इनकी सिफारिशों पर 1781 में कलकत्ता मदरसा (अरबी, फारसी, इसलामिक कानून के अध्ययन के लिए) और 1792 में बनारस में संस्कृत कॉलेज (प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के अध्ययन के लिए) की स्थापना की गई थी।
2. शिक्षा के प्रति ऐंग्लिसिस्टों की सोच क्या थी ?
उत्तर:-आंग्लविद् (Anglicist) अँगरेजी माध्यम में पाश्चात्य ज्ञान की शिक्षा देना चाहते थे। इनका कहना था कि भारतीय शिक्षा अव्यावहारिक और अवैज्ञानिक है। इसका अध्ययन केवल धार्मिक ज्ञान बढ़ाएगा। इस प्रकार की शिक्षा वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान नहीं दे सकती है। इनके अनुसार, भारतीयों को वही शिक्षा मिलनी चाहिए जो रोजी-रोटी के लिए उपयोगी और व्यावहारिक है। इसके अतिरिक्त पश्चिमी वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा ही भारतीयों को सभ्य और आधुनिक बना सकती है। इन कारणों से ऐंग्लिसिस्टों ने एक लाख रुपये की धनराशि पश्चिमी शिक्षा पर खर्च करने की सिफारिश की।
3. सर चार्ल्स वुड के नीतिपत्र के बारे में लिखें।
उत्तरः-सर चार्ल्स वुड बोर्ड ऑफ कंट्रोल का अध्यक्ष था। उसका 1854 का डिस्पैच (नीतिपत्र) भारत की शिक्षा के विकास में एक महत्त्वपूर्ण कदम था। इस नीतिपत्र में उसने भविष्य में पश्चिमी ज्ञान का प्रसार ग्रामीण क्षेत्रों में वर्नाक्यूलर भाषा में तथा नगरों में अँगरेजी भाषा में करने का प्रस्ताव रखा था। नीतिपत्र में एक सार्वजनिक शिक्षा विभाग (Department of Public Instruction) की स्थापना की सिफारिश की गई जो प्रांतीय शिक्षा के विकास पर एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करता। नीतिपत्र ने कई शिक्षण संस्थाएँ खोलने का प्रस्ताव रखा था, जैसे- प्रत्येक प्रेसीडेंसी में लंदन विश्वविद्यालय के नमूने पर विश्वविद्यालय, व्यावसायिक तथा तकनीकी संस्था, शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय तथा महिलाओं के लिए शिक्षण संस्थाएँ। वुड ने स्पष्ट किया कि यूरोपीय शिक्षा व्यावहारिक और आर्थिक रूप से भारतीयों के लिए लाभदायक है।
4. शिक्षा संबंधी मैकॉले के विचारों का विवेचन करें।
उत्तर:-मैकॉले भारतीय संस्कृति व साहित्य को घटिया और असभ्य मानता था। उसके अनुसार, भारत का महान ज्ञान और विद्या यूरोप के प्रगतिशील ज्ञान का मुकाबला नहीं कर सकता। उसने कहा था कि यूरोपीय पुस्तकालय का एक खाना ही समस्त भारतीय और अरबी साहित्य के बराबर है। उसके अनुसार, अँगरेजी शिक्षा से भारतीयों को यूरोप के सर्वोत्तम साहित्य को पढ़ने का अवसर प्राप्त होगा, पश्चिमी विज्ञान और दर्शन के अध्ययन से वे आधुनिक बनेंगे। वह मानता था कि जनसमूह में अँगरेजी शिक्षा का प्रसार करना व्यर्थ होगा। उसका विचार था कि अँगरेजी माध्यम से शिक्षित भारतीय जनसमूह में वर्नाक्यूलर (भारतीय भाषा) के द्वारा पश्चिमी ज्ञान, साहित्य एवं विज्ञान को पहुँचाएँगे