Sugam History Class 8 Chapter 11

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Sugam History Class 8 Chapter 11

दोस्तो इस पोस्ट में कला क्षेत्र में परिवर्तन sugam history class 8 chapter 11 का अतिलघु उत्तरीय प्रश्न देखने वाले है अगर इस पोस्ट में कोई प्रॉब्लम हो तो हमे comment करके जरूर बताएं हम अपडेट कर देंगे

sugam history class 8 chapter 11

 

 

Sugam History Class 8 Chapter 11:लघु उत्तरीय प्रश्न

 

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. कंपनी चित्रकारों ने किस प्रकार के चित्र बनाए थे?

उत्तर:- इन चित्रकारों में योहान जोफनी सबसे प्रसिद्ध था। पाँच वर्ष के लिए भारत आए जोफनी ने भारत से संबंधित अनेक चित्र बनाए जिनमें अँगरेजों का शाही अंदाज एवं अच्छे कपड़ों में तथा भव्य बँगलों के सामने पार्टी देते हुए दिखाया गया है। जोफनी के दो चित्र-गवर्नर-जनरल हेस्टिंग्स और उसकी पत्नी का बेलवेडेयर इस्टेट की पृष्ठभूमि का और कलकत्ता के ऑरियाल एवं डैशवुड परिवारों के बीच विवाह समारोह में दावत का चित्र- अँगरेजों के वैभव और शान तथा स्थानीय लोगों की दासता की स्थिति को दिखाते हैं। कई भारतीय नरेशों और नवाबों ने भी विदेशी चित्रकारों से अपने शाही अंदाज, रहन-सहन के चित्र बनवाए थे।

2. कालीघाट के चित्रकार किस प्रकार का चित्र बनाते थे?

उत्तर:- कालीघाट के चित्रकार बदलते हुए सामाजिक परिवेश और राजनीतिक विषयों पर अधिक चित्र बनाने लगे। इन्होंने उन भारतीयों के भी चित्र बनाए जो पश्चिमी रंग में डूब गए थे, जैसे सिगरेट पीते हुए भारतीय पुरुष या अँगरेजी कपड़े, टोपी, जूते, छाता में भारतीय पुरुष व स्त्री। ऐसे भारतीयों को ‘बाबू’ कहा जाता था। अपने चित्रों द्वारा कालीघाट के चित्रकार बदले हुए भारतीय परिवेश का उपहास किया करते थे। अमीरों के प्रति गरीबों के रोष( क्रोध ) का भी इन्होंने चित्रण किया था।

3. छापाखाना का चित्रकारी पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:-छापाखाना के विकास ने कालीघाट की चित्रकारी को और लोकप्रिय बनाया। कालीघाट के कई चित्रकारों ने अपना छापाखाना लगाया। कई ब्रिटिश कला संस्थानों में छापे की नई विधियाँ सिखाई जाती थी जिससे एक चित्र के कई प्रिंट बनाए जा सकते थे। कालीघाट के चित्रकारों ने इस नई विधि को अपनाकर अपने चित्र के अनेक प्रिंट बनवाए। जिससे इनकी कीमत कम होती थी और अधिक लोगों को उपलब्ध हो जाती थी।

4. राष्ट्रवादी चित्रकारी का विकास कैसे हुआ?

उत्तर:- 20वीं सदी में राष्ट्रवादी भावनाओं से राष्ट्रवादी चित्रकारी का विकास हुआ और भारतीय चित्रकारी प्रभावित होने लगी। हाथ में भारतीय झंडा लिए भारत माता देवी के रूप में चित्रित की जाने लगी। कई स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र भी लोकप्रिय होने लगे। इसमे राजा रवि वर्मा का विशेष योगदान रहा है। इस चित्रकार ने राजा-महाराजा और पौराणिक कथाओं के चित्र बनाए थे।

5. बंगाल कला के चित्रकारों ने लोककला को क्यों अपनाया?

उत्तर:- वे चित्रों को अधिक यथार्थवादी और सजीव दिखाना चाहते थे। प्राचीन ग्रंथों पर आधारित दृश्यों को अधिक भावनात्मक दिखाने के प्रयास में इन्होंने यूरोपीय शैली को अपनाया। उन्होंने पौराणिक कथाओं के स्थान पर वास्तविक जीवन और लोककला को अधिक महत्त्व दिया। इस समय कई ऐसे भी चित्रकार थे जो स्थानीय परिवेश में चित्रकला की स्वतंत्र शैली का विकास कर रहे थे। ऐसी शैलियों में बिहार का मधुबनी पेंटिंग प्रसिद्ध है। वह महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और लोक कथाओं, त्योहारों सामाजिक रीति-रिवाजों को आधार बनाकर बनाई जाती है।

6. 19वीं तथा 20वीं सदी में भारतीय साहित्य में क्या बदलाव आया?

उत्तर:- 19वीं तथा 20वीं सदी में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय साहित्य में अनेक बदलाव आए। साहित्य में भारत की गुलामी और पराधीनता को दिखाया गया। साथ ही, देश को आजाद करना, संघर्ष करना तथा बलिदान देना जैसे विषयों पर जोर देकर बदलाव लाया गया। यह बदलाव बंगाल में अधिक हुआ। बंकिमचंद्र चटर्जी, शरतचंद्र चटर्जी, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे बंगाल के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने पौराणिक या राजा-रानी की कथाओं के स्थान पर वास्तविक जीवन में हो रही घटनाओं को अपने लेखन का केंद्रबिंदु बनाया।

7. नृत्यकला में क्या बदलाव आया?

उत्तर:- दक्षिण भारत में देवदासियों द्वारा मंदिरों में नृत्य करने की परंपरा थी। लेकिन सामाजिक सुधारों के रूप में इस परंपरा को ब्रिटिश सरकार ने समाप्त कर दिया। देवदासियों के नृत्य के स्थान पर शास्त्रीय नृत्य शैलियों का विकास हुआ, जैसे-भरतनाट्यम, कुचीपुडि, कथकलि आदि। कालांतर में इनको स्टेज पर किया जाने लगा। ब्रिटिश प्रभाव से भारतीय नृत्य में पश्चिमी प्रभाव का आगमन हुआ।

Sugam History Class 8 Chapter 11:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. उदाहरण के साथ बताएँ कि यूरोपीय चित्रकारों ने अपनी चित्रकारी में क्या दर्शाया था।

उत्तर:- 18वीं तथा 19वीं सदी में अनेक यूरोपीय चित्रकार भारत आए थे। यहाँ के लोग, प्रकृति, इमारतें, स्मारक तथा ऐतिहासिक घटनाओं से वे प्रभावित हुए थे। उन्होंने इन सबको अपनी चित्रकारी का विषय बनाया था। वे अपनी कृतियों के द्वारा भारत के वैभव, इमारत, खंडहर, सभ्यता-संस्कृति को दिखाया था। साथ ही,चित्रों द्वारा विदेशी चित्रकारों ने यह स्पष्ट किया कि ब्रिटिश शासन के द्वारा ही भारतीय सभ्यता विकसित हो सकती है। साथ ही, चित्रों द्वारा उन्होंने ब्रिटिश श्रेष्ठता को दर्शाने का प्रयास किया।
उदाहरण:- i)औपनिवेशिक काल के टॉमस डेनियल और उसका भतीजा विलियम डेनियल चित्रों द्वारा ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्ति और गौरव को दर्शाया था।
ii) जोफनी द्वारा चित्र में अँगरेजों का शाही अंदाज एवं अच्छे कपड़ों में तथा भव्य बँगलों के सामने पार्टी देते हुए दिखाया गया है। दूसरी तरफ भारतीयों को अँगरेजों के नौकर और सेवक के रूप में दिखाया गया है। जोफनी के चित्रों से स्पष्ट होता है कि अँगरेज श्रेष्ठ हैं और भारतीय कमजोर।

2. कालीघाट चित्रकला के बारे में लिखें।

उत्तर:- 19वीं शताब्दी के कलकत्ता में कालीघाट चित्रकला एक अनूठी कला शैली के रूप में उभरी। इन चित्रों द्वारा पटुआ समुदाय मंदिरों में धार्मिक और पौराणिक कथाओं का वर्णन किया था। वे मिट्टी के बने पात्रों को दिखाकर कहानियाँ सुनाते थे। बाद में वे कपड़े के टुकड़े पर चित्र बनाकर कथाएँ सुनाने लगे। पटुआ समुदाय के समान उत्तर और पूर्वी भारत के कुम्हार बरतन के साथ मिट्टी के पात्र पर पौराणिक विषयों और देवी-देवताओं की तस्वीरें बनाते थे। परंतु, ये चित्र रंगहीन और सपाट होते थे। इस कारण चित्रित पात्र सजीव नहीं लगते थे। आरंभ में कालीघाट के चित्रकार लकड़ी के छोटे-छोटे तख्तों पर चित्रों को उकेर कर बनाते थे। खुदे हुए लकड़ी के ठप्पे पर स्याही लगाकर कागज पर दबा दिया जाता था। बाद में कागज पर लगे ठप्पों को रंगा जाता था।

3. राष्ट्रवादी चित्रकारी का संक्षेप में वर्णन करें।

उत्तर:- राष्ट्रवादी आंदोलन के दौरान भारतीय चित्रकला में बदलाव आया। बदलाव के कारण भारतीय चित्रकला के इस चरण को ‘राष्ट्रवादी कला शैली’ कहा गया जिसे आगे बढ़ाने में राजा रवि वर्मा का विशेष योगदान रहा है। इन्होंने राजा-महाराजा और पौराणिक कथाओं के चित्र बनाए थे। राष्ट्रवादी चित्रकारों में बंगाल के अबनींद्रनाथ टैगोर का नाम उल्लेखनीय है। मद्रास स्कूल ऑफ आर्ट के अध्यापक हैवेल ने अबनींद्रनाथ टैगोर की सहायता से राष्ट्रवादी कलाकारों का संगठन स्थापित किया जिससे बंगाल के राष्ट्रवादी कलाकार जुड़ गए। 20वीं सदी में राष्ट्रवादी भावनाओं से भारतीय चित्रकारी प्रभावित होने लगी। हाथ में भारतीय झंडा लिए भारत माता देवी के रूप में चित्रित की जाने लगी। कई स्वतंत्रता सेनानियों के चित्र भी लोकप्रिय होने लगे।

 

4. 20वीं सदी में विभिन्न क्षेत्रों के साहित्यकारों ने किस विषय पर लिखा ? उदाहरण देकर बताएँ।

उत्तर:- 20वीं सदी में विभिन्न क्षेत्रों के साहित्यकारों ने भारत की गुलामी और पराधीनता तथा, देश को आजाद करना, संघर्ष करना तथा बलिदान देना जैसे विषयों पर लिखा। बंकिमचंद्र चटर्जी, शरतचंद्र चटर्जी, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे बंगाल के प्रसिद्ध साहित्यकारों ने पौराणिक या राजा-रानी की कथाओं के स्थान पर वास्तविक जीवन में हो रही घटनाओं को अपने लेखन का केंद्रबिंदु बनाया।इन्होंने अनेक नाटक, उपन्यास और छोटी-छोटी कहानियों की रचना की
उदाहरण:-शरतचंद्र ने उस काल में भारतीय महिलाओं व विधवाओं की मार्मिक स्थिति पर उपन्यास लिखे थे।रमेशचंद्र दत्त ने देश की बदहाल आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डाला। अपनी रचना समाज में उन्होंने प्राचीन भारतीय गौरव पर लिखा। बंकिमचंद्र चटर्जी ने आनंदमठ में देश की दयनीय स्थिति के बारे में लिखें जो आजादी की भावना और राष्ट्रवाद को विकसित किया।

 

5. उदाहरण के साथ इंडो-सारासेनिक शैली का वर्णन करें।

उत्तर:- इमारतें बनाने में इंडो-सारासेनिक शैली का प्रयोग अधिक किया जाता था। इसमें हिंदू-मुस्लिम शैलियों में पाश्चात्य शैली को मिलाकर भारतीय स्थापत्यकला का विकास किया गया। इस शैली में स्तंभ, गुंबज तथा गोल-नुकीले मेहराबों का निर्माण किया जाता था। तीनों प्रेसीडेंसियों में इस शैली पर आधारित इमारतें बनाई गईं।
उदाहरण :- बंबई विक्टोरिया टर्मिनस रेलवे स्टेशन (आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कहलाता है), गेटवे ऑफ इंडिया, प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय तथा फ्लोरा फाउंटेन के निर्माण में इंडो-सारासेनिक शैली का प्रयोग किया गया है।

 

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