sugam history class 8 chapter 9 question answerolution
दोस्तो इस पोस्ट में जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ sugam history class 8 chapter 9 question answer पूरा देखने वाले है अगर इस पोस्ट में कोई प्रॉब्लम हो तो हमे comment करके जरूर बताएं हम अपडेट कर देंगे
sugam history class 8 chapter 9:अति लघु उत्तरीय प्रश्न
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. रेलवे के कारण जातिव्यवस्था कैसे कमजोर हुई ?
उत्तर:- रेलगाड़ी में सभी को एक साथ मिलकर सफर करना होता था। जिसमें सभी जाति, धर्म के लोग होते थें इस प्रकार रेलवे के कारण जातिव्यवस्था कमजोर हुई
2. मदिगा जाति के जीवन में कैसे परिवर्तन हुआ ?
उत्तर:-ब्रिटिश काल में जूतों की माँग बढ़ जाने से आंध्र प्रदेश के जूतों का व्यवसाय करनेवाली मदिगा जाति ने अत्यधिक धन कमाया। इस प्रकार मदिगा जाति के जीवन में परिवर्तन हुआ
3. महार जाति क्या करती थी ?
उत्तर:- महाराष्ट्र की महार जाति सामरिक प्रवृत्ति की थी। ये गाँव की रक्षा का कार्य करता था यह उनका कर्तव्य ही नहीं उनकी जवाबदारी भी थी।
4. सतनामी आंदोलन कहाँ हुआ ?
उत्तरः-सतनामी आंदोलन मध्य भारत में (वर्तमान छत्तीसगढ़ में) 1820 के दशक में घासीदास ने शुरू की थी।
5. ब्राह्मणों के प्रति ज्योतिराव फूले के क्या विचार थे?
उत्तर:-उनका मानना था कि ब्राह्मण आर्य थे जो बाहर से आए थे और शुद्रों को अपना गुलाम बनाया था। ब्राह्मणों ने निम्नवर्ग को शिक्षा से वंचित रखा और अपने को श्रेष्ठ बताते हुए उनपर अपना प्रभाव स्थापित किया। सभी सामाजिक कुरीतियों और स्त्रियों की दुर्दशा के लिए उन्होंने ब्राह्मण वर्ग को दोषी ठहराया।
6. गुलामगीरी नामक पुस्तक में किनका उल्लेख है ?
उत्तर:-गुलामगीरी नामक अपनी पुस्तक (1873) में फूले ने भारत के निम्नवर्ग की स्थिति और गुलामों को मुक्त करने के अमेरिकी आंदोलन का उल्लेख किया है
7. श्रीनारायण गुरु का उद्देश्य क्या था ?
उत्तरः-श्रीनारायण गुरु का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना था जो जाति और धार्मिक विचारों से परे हो।
8. हितकारिणी सभा ने किनका सुधार चाहा था ?
उत्तर:-हितकारिणी सभा के द्वारा अछूतों की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया।
9. आरंभ में पेरियार ने संन्यासी जीवन क्यों अपनाया था?
उत्तर:-वे संन्यासी जीवन से प्रभावित हुए थे इसलिए आरंभ में इस जीवन को अपनाया था।
10. ब्राह्मणों के प्रति पेरियार के क्या विचार थे ?
उत्तर:-पेरियार का विचार था कि समाज में निहित अंधविश्वास और भेदभाव की वैदिक हिंदू धर्म में अपनी जड़ें हैं, जो समाज को जाति के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटता है जिसमें ब्राह्मणों का स्थान सबसे ऊपर है
11. गाँधीजी दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र क्यों नहीं चाहते थे ?
उत्तर:-गाँधीजी दलितों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र नहीं चाहते थे क्योंकि इससे भारतीय समाज की अखंडता खतरे में पड़ जाती।
12. भीमराव अंबेडकर ने कहाँ शिक्षा पाई थी ?
उत्तर:-दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर ने औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी और उच्चशिक्षा के लिए विदेश भी गए थे।
13. भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति को क्यों जलाया था ?
उत्तर:-भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति को जलाया था, क्योंकि मनु स्मृति ने न केवल जाति व्यवस्था को वैध ठहराया बल्कि दलितों के उत्पीड़न को भी उचित ठहराया।
14. भीमराव अंबेडकर के अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:- भीमराव अंबेडकर के अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ का उद्देश्य दलित वर्ग की स्थिति को सुधार करना था
sugam history class 8 chapter 9:लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. निम्नवर्ग पर क्या-क्या प्रतिबंध थे?
उत्तर:-किसान, बुनकर, शिल्पकार आदि को वे निम्नवर्ग मानते थे। निम्नवर्ग को समाज-बहिष्कृत का जीवन व्यतीत करना होता था। उनका आवास गाँव या शहर के एक तरफ होता था, वे सार्वजनिक कुएँ से पानी नहीं ले सकते थे। मंदिर, शिक्षण स्थल आदि में उनका प्रवेश निषेध था।
2. पश्चिमी शिक्षा ने जातिव्यवस्था को कैसे लचीला बनाया?
उत्तरः-पश्चिमी शिक्षा ने भारतीयों को नए और उदार विचारों से अवगत कराया। ब्रिटिश शिक्षण संस्थाएँ सभी के लिए खुली थीं और सबके लिए सरकारी नौकरियाँ उपलब्ध थीं। बिना किसी भेदभाव के लोगों को शिक्षक, क्लर्क, वकील बनने का अवसर प्राप्त हुआ। कइयों ने व्यापार करना आरंभ किया। शहरों में जातीयता की भावना कमजोर हुई। लोगों की पहचान उनके कार्य से होने लगी। इस प्रकार पश्चिमी शिक्षा ने जातिव्यवस्था को लचीला बनाया
3. मदिगा तथा महार जातियों की स्थिति में कैसे बदलाव आया?
उत्तर:-ब्रिटिश काल में अनेक निम्नजातियों को अपने पारंपरिक व्यवसाय से धन कमाने का अवसर मिला। जूतों की माँग बढ़ जाने से आंध्र प्रदेश के जूतों का व्यवसाय करनेवाली मदिगा जाति ने अत्यधिक धन कमाया। इससे उनकी सामाजिक स्थिति में बदलाव आया। इसी प्रकार, महाराष्ट्र की महार जाति सामरिक प्रवृत्ति की थी। ब्रिटिश सरकार ने इनको अपनी सेना में भरती किया जिससे इनकी आर्थिक और सामाजिक स्थितियों में काफी बदलाव आया।
4. निम्नवर्ग की स्थिति को सुधारने के लिए ज्योतिराव फूले ने क्या किया था?
उत्तरः-उनका मानना था कि सामाजिक बुराइयों का मुकाबला करने का एकमात्र जरिया महिलाओं, निम्न वर्ग के लोगों को शिक्षा देना था।। इस कारण अपनी पत्नी की सहायता से निम्नवर्ग के लिए स्कूल तथा पुस्तकालय स्थापित किया। ब्राह्मणवाद की श्रेष्ठता को समाप्त करने के लिए उन्होंने निम्नवर्ग और अछूतों को एक होने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए सत्यशोधक समाज नामक एक संगठन की स्थापना की थी। अपने विचारों को उन्होंने मराठी पत्रिका में लिखकर या भाषण के द्वारा लोगों तक पहुँचाया।
5. ज्योतिराव फूले के मुख्य विचार क्या थे?
उत्तर:-ज्योतिराव फुले जाति भेदभाव और मूर्ति पूजा पूजा के खिलाफ थे। वह तार्किक सोच के लिए अभियान चलाते थे और पुजारियों की आवश्यकता को खारिज करते थे। उन्होंने मानव कल्याण, सुख, एकता, समानता और सरल धार्मिक सिद्धांतों और अभ्यासों के आदर्शों के साथ सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
6. गुलामगीरी नामक पुस्तक में ज्योतिराव फूले ने अमेरिकी गृहयुद्ध का समर्थन क्यों किया?
उत्तर:-गुलामगीरी नामक अपनी पुस्तक (1873) में फूले ने भारत में प्रचलित सामाजिक असमानताओं की निंदा की। भारत के निम्नवर्ग की स्थिति को अमेरिकी गुलामों के समान बताया और अमेरिका के गृहयुद्ध (1861-65) की प्रशंसा की, क्योंकि इसने वहाँ के गुलामों को मुक्त किया था।
7. श्रीनारायण गुरु ने कौन-से सुधार के लिए प्रयास किए थे?
उत्तर:-वे एक गुरु, एक धर्म तथा एक जाति में विश्वास की बात कहते थे। उच्चवर्ग के विरोध के बावजूद उन्होंने संस्कृत सीखी थी और श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम (1903) के द्वारा निम्नवर्ग को मंदिर में प्रवेश दिलाने का प्रयास किया था। छुआछूत का विरोध और विवाह, पूजा तथा मृतक के अंतिम संस्कार के सरल तरीके बनाना इस संगठन का उद्देश्य था।
8. पेरियार के स्वाभिमान आंदोलन के उद्देश्य क्या थे?
उत्तरः-पेरियार के स्वाभिमान आंदोलन के द्वारा प्रचलित सामाजिक असमानताओं और धार्मिक कुरीतियों का विरोध किया। ब्राह्मण-पुरोहित के बिना शादी करवाना भी उनका उद्देश्य था। उन्होंने सरकारी नौकरियों में गैर-ब्राह्मणों के लिए आरक्षण तथा दलितों और अछूतों को अपने अधिकार के प्रति जागरूक होने और अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाने का आह्वान किया था। परंतु, वे पूरी तरह सफल नहीं हो सके, क्योंकि वै निम्नवर्ग को संगठित नहीं कर पाए थे।
9. जातिप्रथा में सुधार के गाँधीजी के प्रयासों को लिखें।
उत्तर:-गाँधीजी का नाम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख रूप से लिया जाता है। साथ ही, वे एक समाजसुधारक भी थे। महिलाओं की की स्थि स्थिति में सुधार और अछूतों का उद्धार उनके प्रमुख सुधार कार्यक्रम थे। दलितों की स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने 1932 में अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ की स्थापना की थी जिसने कई आवासीय स्कूल और सहकारिता समितियों की स्थापना की थी। गाँधीजी के सुझाव पर काँग्रेस द्वारा 1919 के प्रथम अखिल भारतीय ‘डिप्रेस्ड क्लास’ सम्मेलन में छुआछूत के विरुद्ध घोषणापत्र जारी किया गया था।
10. भीमराव अंबेडकर ने दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए क्या किया?
उत्तर:-भीमराव अंबेडकर ने दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन किया। महाराष्ट्र में हुए एक आंदोलन के दौरान उन्होंने ‘मनुस्मृति’ को जलाया था। उन्होंने दलितों को सरकारी नौकरी अपनाने के लिए प्रेरित किया था और इसमें उनके लिए आरक्षण की बात कही थी। आज भारत सरकार इस नीति का पूर्णतः पालन कर रही है।
11.पेरियार ने कॉग्रेस का विरोध क्यों किया?
उत्तर:-पेरियार काँग्रेस के सदस्य बने और राष्ट्रीय आंदोलन में भाग भी लिया। परंतु, काँग्रेस द्वारा आयोजित एक भोज में उच्चवर्ग और निम्नवर्ग को अलग-अलग बिठाया गया इस कारण पेरियार ने कॉग्रेस का विरोध किया।
12. जातीय भेदभाव को दूर करने के लिए भीमराव अंबेडकर ने क्या किया?
उत्तर:-जातीय भेदभाव को दूर करने के लिए भीमराव अंबेडकर ने दलितों में शिक्षा के प्रसार के लिए 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना में उन्होंने सहयोग किया था। शिक्षा के अतिरिक्त उन्होंने अहिंसात्मक तरीके से दलितों के मंदिर में प्रवेश और सार्वजनिक कुओं से जल प्राप्त करने के अधिकार के लिए आंदोलन किया। महाराष्ट्र में हुए। एक आंदोलन के दौरान उन्होंने ‘मनुस्मृति’ को जलाया था। उन्होंने दलितों को सरकारी नौकरी अपनाने के लिए प्रेरित किया था और इसमें उनके लिए आरक्षण की बात कही थी।
sugam history class 8 chapter 9:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ब्रिटिश शासन ने किस प्रकार जातिप्रथा की बुराइयों को दूर किया?
उत्तरः-सामाजिक कुरीतियों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाने में अँगरेजी शिक्षा सहायक हुई। ब्रिटिश शिक्षण संस्थाएँ सभी के लिए खुली थीं और सबके लिए सरकारी नौकरियाँ उपलब्ध थीं। बिना किसी भेदभाव के लोगों को शिक्षक, क्लर्क, वकील बनने का अवसर प्राप्त हुआ। कइयों ने व्यापार करना आरंभ किया। शहरों में जातीयता की भावना कमजोर हुई। लोगों की पहचान उनके कार्य से होने लगी। ब्रिटिश काल में अनेक निम्नजातियों को अपने पारंपरिक व्यवसाय से धन कमाने का अवसर मिला। ब्रिटिशकालीन नीतियों ने लोगों को अपना पारंपरिक व्यवसाय छोड़ने को मजबूर किया। ये ब्रिटिश सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न कार्यों, जैसे-सड़क, रेलवे, इमारत निर्माण के कार्य में लग गए। कई कारखानों में मजदूरी या जूट, इस्पात जैसे उद्योगों में कार्य करने लगे। अनेक ब्रिटिश सेना में भरती हो गए। इस प्रकार ब्रिटिश शासन ने जातिप्रथा की बुराइयों को दूर किया
2.जातिप्रथा के प्रति ज्योतिराव फूले के क्या विचार थे?
उत्तर:-निम्नजाति (फूल बेचनेवाली) में पैदा हुए ज्योतिराव फूले ने शिक्षा मिशनरी विद्यालय में प्राप्त की थी। वे शिवाजी और थॉमस पेन के विचारों तथा स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों से प्रभावित हुए थे। उनके अनुसार, आर्यों के आने से जातिव्यवस्था भारत में आरंभ हुई। उनका मानना था कि शुद्र भारत के मूल निवासी हैं। ब्राह्मण आर्य थे जो बाहर से आए थे और शुद्रों को अपना गुलाम बनाया था। ब्राह्मणों ने निम्नवर्ग र्ग को को शिक्षा से वंचित रखा और अपने को श्रेष्ठ बताते हुए उनपर अपना प्रभाव स्थापित किया। सभी सामाजिक कुरीतियों और स्त्रियों की दुर्दशा के लिए उन्होंने ब्राह्मण वर्ग को दोषी ठहराया। शिक्षा के महत्त्व को फूले ने समझा। इस कारण अपनी पत्नी की सहायता से निम्नवर्ग के लिए स्कूल तथा पुस्तकालय स्थापित किया। ब्राह्मणवाद की श्रेष्ठता को समाप्त करने के लिए उन्होंने निम्नवर्ग और अछूतों को एक होने के लिए प्रेरित किया। उनके अनुसार ब्रिटिश शासन की समाप्ति पर उच्चवर्ग की प्रधानता बढ़ जाएगी और निम्नवर्ग का शोषण होगा।
3. ई० वी० रामास्वामी नायकर (पेरियार) ने जातिव्यवस्था का विरोध क्यों किया?
उत्तर:-दक्षिण भारत के मध्यमवर्ग में इनका लालन-पालन हुआ था। इन्होंने शास्त्रों का गहरा अध्ययन किया था। वे संन्यासी जीवन से प्रभावित हुए थे और आरंभ में इस जीवन को अपनाया भी था। वे वेद, पुराणों के कट्टर आलोचक थे। उन्होंने ‘मनुस्मृति’, ‘रामायण’ तथा ‘भगवद्गीता’ की भी आलोचना की थी। इसका कारण यह था कि इन ग्रंथों में ब्राह्मणों को सर्वोच्च और निचली जातियों तथा महिलाओं को नीचा बताया गया था। फूले और अन्य सुधारकों के समान पेरियार ब्राह्मण वर्ग के आधिपत्य के कट्टर विरोधी थे। उनका भी मानना था कि ये बाहर से आए थे और यहाँ के मूल निवासियों को अपने अधीनकर दास बनाया था। उनसे विभिन्न कार्य करवाकर उनको निम्न और अछूत का दर्जा दिया था। अपने द्वारा बनाए गए सामाजिक कानूनों और संस्थाओं के कारण वे अपने को उच्च और दूसरों को निम्न मानते थे। ब्राह्मणों ने अस्पृश्यता को बढ़ावा दिया और अछूतों को शिक्षा, मंदिर में प्रवेश, सार्वजनिक कुओं और सड़कों के प्रयोग से वंचित रखा। इन सभी कारणों से ई० वी० रामास्वामी नायकर (पेरियार) ने जातिव्यवस्था का विरोध किया
4. निम्नवर्ग की स्थिति में सुधार के लिए भीमराव अंबेडकर ने क्या किया ?
उत्तर:-दलित परिवार में जन्मे अंबेडकर ने औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी और उच्चशिक्षा के लिए विदेश भी गए थे। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया था और अन्य दलितों को भी इस धर्म को अपनाने के लिए कहा था, क्योंकि यह स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर आधारित है। इनका मानना था कि शिक्षा ही दलितों की स्थिति को सुधार सकती है। इस वर्ग में शिक्षा के प्रसार के लिए 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना में उन्होंने सहयोग किया था। शिक्षा के अतिरिक्त उन्होंने अहिंसात्मक तरीके से दलितों के मंदिर में प्रवेश और सार्वजनिक कुओं से जल प्राप्त करने के अधिकार के लिए आंदोलन किया। महाराष्ट्र में हुए एक आंदोलन के दौरान उन्होंने ‘मनुस्मृति’ को जलाया था। उन्होंने दलितों को सरकारी नौकरी अपनाने के लिए प्रेरित किया था और इसमें उनके लिए आरक्षण की बात कही थी। आज भारत सरकार इस नीति का पूर्णतः पालन कर रही है। 1942 में अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ के द्वारा उन्होंने इस वर्ग की स्थिति को सुधारने का अभियान चलाया। वे संविधान सभा के सदस्य थे।उनके प्रयासों से संविधान में दलितों के अधिकारों को सुरक्षित किया गया।