दोस्तो इस पोस्ट में विधुत धारा के रसायनिक प्रभाव sugam vigyan class 8 chapter 14 question answer पूरा देखने वाले है अगर इस पोस्ट में कोई प्रॉब्लम हो तो हमे comment करके जरूर बताएं हम अपडेट कर देंगे
sugam vigyan class 8 chapter 14 question answer:अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. विद्युत परिपथ क्या है?
उत्तर:-जिस पथ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह होता है उसे विद्युत परिपथ (electric circuit) कहते हैं
2. बंद और खुले परिपथ से क्या समझते हैं?
उत्तर:-जो परिपथ कहीं से टूटा हुआ हो खुला परिपथ कहलाता है तथा जो परिपथ कहीं से टूटा नहीं हो बंद परिपथ कहलाता है।
3. परीक्षित्र (या टेस्टर) क्या है?
उत्तरः-परीक्षित एक यंत्र है जिसे हम किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह की जांच करते हैं
4. निम्नलिखित में कौन सुचालक और कौन कुचालक हैं? काँच, ताँबा, चाँदी, शुद्ध जल, रबर, नमक का विलयन, कागज, मानव शरीर सेल
उत्तरः-तांबा, चांदी, नमक का विलियन, मानव शरीर विद्युत का सुचालक है तथा कांच, रबड़, कागज, शुद्ध जल विद्युत का कुचालक है
5. किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होने के तीन मुख्य प्रभावों का उल्लेख करें।
उत्तर:- (i) उष्मीय प्रभाव (ii) चुंबकीय प्रभाव (iii) रासायनिक प्रभाव
6. विद्युत परिपथ के अवयवों को दर्शान के लिए प्रतीकों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:- क्योंकि विद्युत परिपथ के अवयवों का वास्तविक रूप में दिखाना असुविधाजनक है इसलिए प्रतीकों का उपयोग किया जाता है
7. परिपथ आरेख से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:- किसी विद्युत परिपथ के विभिन्न अवयवों की व्यवस्था उनके प्रतिको द्वारा दर्शाने वाले आरेख को परिपथ आरेख कहते हैं
8. जब किसी परीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डुबोते हैं तो चुंबकीय सूई विक्षेपित होती है। क्यों?
उत्तर:- विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के कारण
9. ऐसे तीन द्रवों के नाम लिखिए जिनका परीक्षण चित्र 14.9 में दर्शाए अनुसार करने पर चुंबकीय सूई विक्षेपित हो सके।
उत्तर:- नींबू का रस, सिरका, नमक का घोल
10. गीले हाथों से विद्युत परिपथ के किसी भाग को छूना नहीं चाहिए। क्यों?
उत्तरः-क्योंकि तरल पदार्थ सुचालक होता है जिसे हमें बिजली का झटका लगता है इसलिए गिले हाथों से विद्युत परिपथ के किसी भाग को छूना नहीं चाहिए
11. विद्युत अपघटन किसे कहते हैं?
उत्तर:-चालक द्रव या विलियन से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर द्रव या विलियन में जो रासायनिक अभिक्रिया होती है उसे विद्युत अपघटन कहा जाता है।
या
विद्युत अपघटन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा किसी रासायनिक यौगिक में विद्युत धारा प्रवाहित करके उसके रसायनिक बंधुओं को तोड़ा जाता है।
12. विद्युत-अपघट्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः-जिस द्रव्य विलियन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर विद्युत अपघटन होता है उसे विद्युत अपघट्य कहा जाता है या विद्युत अपघट्य उन पदार्थों को कहते हैं जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं जो उस पदार्थ को विद्युत चालक बनाते हैं
13. इलेक्ट्रोड क्या है?
उत्तर:-वोल्टामीटर के जिन टर्मिनलो से धारा विद्युत अपघट्य में प्रवेश करती है और बाहर निकलती है उन्हें इलेक्ट्रोड कहा जाता है।
14. ऐनोड और कैथोड क्या होते हैं?
उत्तर:-जिस सिरे से विद्युत धारा विद्युत अपघट्य में प्रवेश करती है उसे एनोड कहते हैं। तथा जिस सिरे से धारा बाहर निकलती है उसे कैथोड कहा जाता है
15. विद्युत-लेपन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:-विद्युत द्वारा किसी पदार्थ पर किसी वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं या विद्युत धारा द्वारा, धातुओं पर लेपन करने की विधि को विद्युतलेपन (Electroplating) कहते हैं।
sugam vigyan class 8 chapter 14 question answer:लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सुचालक और कुचालक पदार्थों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तरः-सुचालक और कुचालक पदार्थों में अंतर इस प्रकार है:-
सुचालक
i. ऐसे पदार्थ में विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित हो जाती है
ii. मुक्त इलेक्ट्रान बहुत अधिक होते हैं
iii. ऊष्मा का प्रवाह आसानी से हो जाता है
iv. उदाहरण – तांबा, सोना, एल्युमीनियम, चांदी
कुचालक
i. ऐसे पदार्थों में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होते हैं
ii. मुक्त इलेक्ट्रोनों की संख्या न के बराबर होती
iii. ऊष्मा का प्रवाह नही होता है
iv. उदाहरण, कांच, लकड़ी – रबर, पेपर
2. यदि चित्र 10.7 में दर्शाई गई व्यवस्था में बल्य नहीं जलता है, तो संभावित कारणों की सूची बनाएँ। अपने उनर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- चित्र में दर्शाई गई व्यवस्था में बल्ब नहीं जलता। इसका कई संभावित कारण हो सकता है
(i) विलयन विद्युत का चालक नहीं है (ii) विद्युत धारा अल्प हो (iii) बैट्री पूर्णतया प्रयोग की जा चुकी है। (iv) बल्ब फ्युज हो (iv) परिपथ पूर्ण ना हो।
3. क्या शुद्ध जल विद्युत का चालन करता है? यदि नहीं, तो इसे चालक बनाने के लिए हम क्या कर सकते है? [संकेत: नहीं, इसे चालक बनाने के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में नमक मिला देते हैं।।
उत्तरः- शुद्ध जल विद्युत का चालन नहीं करता है इसे चालक बनाने के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में नमक मिला देते
4. आग लगने के समय, फायरमैन पानी के हौज (पाइपों) का उपयोग करने से पहले उस क्षेत्र की मुख्य विद्युत आपूर्ति को बंद कर देते है। क्यों ?
उत्तर:- चूंकि पानी विद्युत का सुचालक है। विद्युत आपूर्ति के बंद नहीं रहने पर गीले पाइपों में विद्युत-धारा प्रवाहित हो सकती है, जिसके कारण फायरमैन को विद्युत का झटका (electric shock) लग सकता है।
5. टेस्टर या परीक्षित्र से पीने के पानी तथा समुद्र के पानी का परीक्षण करने पर यह पाया जाता है कि समुद्र के पानी के लिए चुंबकीय सूई अधिक विक्षेप दर्शाती है। व्याख्या करें।
उत्तर:- समुद्र के पानी में नमक तथा अन्य लवण अत्यधिक मात्रा में घुले रहते हैं। इसके कारण समुद्र का पानी साधारण पीने के पानी की तुलना में अधिक अच्छा चालक हो जाता है। यही कारण है कि परीक्षण के समय समुद्र के पानी के लिए चुंबकीय मूई अधिक विक्षेपित होती है।
6. क्या तेज वर्षा के समय किसी लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन के विद्युत तारों की मरम्मत करना सुरक्षित होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:- नहीं, वर्षा के जल में वायुमंडल में विद्यमान कुछ लवण आदि पदार्थ घुले होते हैं जिसके कारण वह विद्युत का सुचालक हो जाता है। अतः, वर्षा के जल से भींगे खंभे आदि से विद्युत धारा पृथ्वी में प्रवाहित हो सकती है। इस कारण लाइनमैन को बाहरी मुख्य लाइन के मरम्मत करते समय विद्युत का झटका लग सकता है जो घातक भी हो सकता है।।
7. प्रायः यह कहा जाता है कि वर्षा का जल उतना ही शुद्ध है जितना कि आसुत जल। परंतु, एक स्वच्छ काँच के बर्तन में कुछ वर्षा अ जल एकत्रित करके परीक्षित्र से उसका परीक्षण करने पर चुंबकीय सूई विक्षेप दर्शाती है। इसका कारण बताएँ।
उत्तर:- वास्तव में वर्षा का जल आसुत जल की तरह शुद्ध नहीं होता है। इसमें वायुमंडल में विद्यमान कुछ लवण आदि पदार्थ असे होते हैं, जिसके कारण यह विद्युत का सुचालक हो जाता है। यही कारण है कि इसमें परीक्षण करने पर चुंबकीय सूई विक्षेप दर्शाती है।।
8. कुछ विद्युत-लेपित वस्तुओं के नाम बताइए।
उत्तर:- नल, गैस का चूल्हा, साइकिल का हैडिल, पहियों के रिम, सस्ती धातुओं पर सोने तथा चाँदी का विद्युत-लेपन कर बनाए गए आभूषण, खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए उपयोग किए जानेवाले टिन से विद्युत-लेपित लोहे के डिब्बे ।
9. जो प्रक्रिया आपने करें, देखें और समझें-7 में देखी, वह ताँबे (कॉपर) के शोधन में उपयोग होती है। एक पतली शुद्ध ताँबे की छड़ एवं एक अशुद्ध ताँबे की छड़ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग की जाती है। कौन-सा इलेक्ट्रोड बैटरी के धन टर्मिनल से संयोजित किया जाए। कारण भी लिखिए।
उत्तर:- अशुद्ध ताँबे (कॉपर) की छड़ से बने इलेक्ट्रोड को बैटरी के धन टर्मिनल से संयोजित किया जाना चाहिए, क्योंकि विद्युत अपघटन की अभिक्रिया के समय ताँबे (कॉपर) के आयन बैटरी के ऋण टर्मिनल से जुड़े इलेक्ट्रोड (यहाँ शुद्ध ताँबे के छड़) पर जमा होते हैं और बैटरी के धन टर्मिनल से जुड़े इलेक्ट्रोड (यहाँ शुद्ध ताँबे की छड़) से ताँबा विलयन (विद्युत अपघट्य) में जाता है।
sugam vigyan class 8 chapter 14 question answer:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. विद्युत-धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित परीक्षित्र (या टेस्टर) कैसे बनाएँगे? इससे कैसे जाँच करेंगे कि दिया गया द्रव विद्युत का सुचालक है या कुचालक?
उत्तर:-इसे बनाने के लिए बिजली के तीन तार लेते हैं जिसमें एक छोटा तार C और दो थोड़े लंबे तार A एवं B लेते हैं उनके सिरो के प्लास्टिक को थोड़ा-थोड़ा छील लेते हैं सेलोटेप की मदद से तार C के एक सिरे को एक शुष्क सेल के एक टर्मिनल से जोड़ देते हैं तथा दूसरे सिरे को टॉर्च के बल्ब के एक टर्मिनल से जोड़ देते हैं। अब अन्य दो तार A एवं B के एक-एक सिरे को सेलोटेप की मदद से क्रमशः सेल तथा बल्ब के दूसरे टर्मिनल से जोड़ देते हैं। A तथा B के खुले सिरे बच जाते हैं यही हमारा टेस्टर है
इससे जांच करने के लिए की द्रव विद्युत का सुचालक है या कुचालक हम प्लास्टिक या रबर के एक साफ ढक्कन में एक चम्मच के बराबर कोई द्रव लेते हैं। अपने टेस्टर को इस ढक्कन के समीप लाकर उसके सीरो A तथा B को द्रव में डूबाते हैं। ध्यान रखते हैं कि दोनों सिरों की दूरी 1 सेंटीमीटर से अधिक ना हो तथा एक दूसरे को स्पर्श ना करें और अब अगर टेस्टर का बल्ब दीप्त होता है तो द्रव विद्युत का सुचालक है अगर दीप्त नहीं होता है तो द्रव विद्युत का कुचालक है। इस प्रकार द्रव् विद्युत का सुचालक हैं या कुचालक का जांच करेंगे
2. विद्युत-धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित परीक्षित्र (या टेस्टर) कैसे बनाएँगे? इससे कैसे जाँच करेंगे कि दिया गया द्रव विद्युत का सुचालक है या कुचालक?
उत्तर:-माचिस के एक खाली डिब्बा से ट्रे निकाल लेते हैं। टे के भीतर एक छोटी चुंबकीय सूई रख देते हैं। अब ट्रे पर एक विद्युत तार के कुछ फेरे लपेटते हैं। अब तार के एक स्वतंत्र सिरे को बैटरी के एक टर्मिनल से जोड़ते हैं। तार का दूसरा सिरा स्वतंत्र है। तार का एक दूसरा टुकड़ा लेकर बैटरी के दूसरे टर्मिनल से जोड़ते हैं। दोनों तारों A एवं B के स्वतंत्र सिरों को क्षणमात्र के लिए एक-दूसरे से स्पर्श कराने पर चुंबकीय सूई तुरंत विक्षेपित हो जाती है। यह हमारा चुंबकीय प्रभाव पर आधारित टैस्टर (या परीक्षित्र) है।
इससे जांच करने के लिए टेस्टर के तार A तथा B के स्वतंत्र सिरों को किसी द्रव से डुबोते है इस प्रयोग को बारी-बारी से अन्य द्रवो के साथ करते हैं प्रयोग से पहले सिरों को पानी में डुबोकर पोछकर सुखाते हैं प्रत्येक स्थिति में देखते हैं कि चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाती है। अथवा नहीं। चुंबकीय सूई विक्षेप दर्शाती है, तो द्रव सुचालक है और यदि चुंबकीय सूई विक्षेप नहीं दर्शाती है, तो द्रव कुचालक है।
3. विद्युत अपघटन से आप क्या समझते है? एक चित्र की सहायता से कॉपर सल्फेट (CuSO) के जलीय विलयन के विद्युत अपघटन की व्याख्या करें।
उत्तर:-चालक द्रव या विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर द्रव या विलयन में जो रासायनिक अभिक्रिया होती है उसे विद्युत अपघटन (electrolysis) कहा जाता है।
इसमें काँच का बरतन होता है जिसमें कॉपर सल्फेट (CuSO4) का जलीय विलयन लिया जाता है। यही विलयन वोल्टामीटर का विद्युत अपघट्य होता है। ताँबे के प्लेट A तथा C वोल्टामीटर के इलेक्ट्रोड होते हैं। प्लेट A ऐनोड तथा प्लेट C कैथोड हैं। बैटरी के धन टर्मिनल को A से तथा ऋण टर्मिनल C से संयोजित कर देने पर कॉपर सल्फेट के विलयन से विद्युत-धारा प्रवाहित होने लगती है और विल्यन में जो विद्युत अपघटन होता है उसमें धनायन Cu कैथोड पर तथा ऋणायन SO ऐनोड पर जमा होते हैं। Cu कैथोड को अपना धनावेश देकर उसी सतह पर जम जाते हैं, किंतु SO आयन ऐनोड को अपना आवेश देकर ताँबे के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया कर कॉपर सल्फेट बनाते हैं जो विलयन में मिल जाता है।
4. विद्युत-लेपन किस प्रकार किया जाता है? एक चित्र की सहायता से स्पष्ट करें।
उत्तर:-जिस वस्तु (जैसे चम्मच) पर विद्युत-लेपन करना होता है उसे साफ कर वोल्टामीटर का कैथोड बनाया जाता है। जिस धातु (जैसे चाँदी) की परत चढ़ानी रहती है. उसी धातु के घुलनशील लवण (जैसे सिल्वर नाइट्रेट) के विलयन को वोल्टामीटर का विद्युत अपघट्य बनाया जाता है और उसी धातु (जैसे चाँदी) की छड़ या प्लेट को वोल्टामीटर का ऐनोड बनाया जाता है। वोल्टामीटर से विद्युत धारा प्रवाहित कराने पर वस्तु पर धातु की परर्त जमती जाती है और ऐनोड धीरे-धीरै खुलता जाता है। इस प्रकार विद्युत लेपन किया जाता है